प्रस्तुत पुस्तक एक अनूठी पुस्तक है जो विश्व के प्राचीन ग्रंथों में से एक "ताओ ते चिंग" पर आचार्य प्रशांत के प्रवचनों को संकलित करती है। ताओवाद कोई आयोजित धर्म नहीं है, वो एक तरह की जीवन-पद्धति है। ताओवाद कहता है, ‘यदि जीवन में शुभता लानी है तो प्रकृति के पीछे क्या है, प्रकृति का आधार क्या है, उसको समझना पड़ेगा।’ वेदान्त का प्रतिपाद्य विषय भी जिज्ञासा है, जानना है।
आचार्य प्रशांत ने इस पुस्तक के माध्यम से “ताओ ते चिंग” के रहस्यमयी सूत्रों को वेदान्त के प्रकाश में आज के संदर्भ में सरल और सहज भाषा में समझाया है, जिससे पाठक इस प्राचीन ज्ञान को अपने जीवन में आत्मसात कर सकें। यह पुस्तक ताओवाद की शिक्षाओं को वर्तमान जीवन की चुनौतियों और आवश्यकताओं के प्रति अत्यधिक प्रासंगिक बनाती है। इस पुस्तक में “ताओ ते चिंग” से पहले 10 सूत्रों पर व्याख्या को संकलित किया गया है।
Index
1. बेनाम, बेशर्त है सनातन2. सिर्फ़ तू ही तू है, मैं नहीं3. भीतर सम्पूर्णता, बाहर सहजता4. सार्थकता और स्वार्थ एक साथ नहीं चलते5. बंधन स्वभाव नहीं6. महानता का महिमामंडन ही पाखंड का जन्मदाता