संत सरिता - भाग 1 (Sant Sarita - Bhaag 1) [नवीन प्रकाशन]

संत सरिता - भाग 1 (Sant Sarita - Bhaag 1) [नवीन प्रकाशन]

जहाँ संतत्व वहाँ जीवन
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hindi Language
224 Print Length
Description
यूँ तो बहुत लम्बे समय से ज्ञानीजन मनुष्य के दुख को समाप्त करने के लिए आत्मज्ञान की सीख देते रहे हैं, पर संकीर्ण और कुटिल मन उनका एक सीमा तक ही उपयोग कर पाया है। पर सन्तों के भजनों की सरलता और लयात्मकता का यह जादुई असर है कि बात बड़ी आसानी से मन की उलझनों और चालाकियों को पार करके हृदय की गहराई में प्रवेश कर जाती है।

एक संगीतमय और भक्तिमय माहौल में आचार्य प्रशांत ने इन भजनों की पंक्तियों को गहराई से और बडे़ ही सरल भाषा में समझाया है। उन्हीं चर्चाओं की श्रृंखला को प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से आपके समक्ष लाया गया है, जिससे आप भी इनमें छिपे गूढ़ और अमूल्य ज्ञान से अवगत हो सकें और बोधजनित भक्तिरस का स्वादन कर सकें।
Index
CH1
नैहरवा हमका न भावे
CH2
मैं तो सो रही थी, बाँह पकड़ मुझे जगाया क्यों?
CH3
जिस तन लगिया इश्क कमाल
CH4
समझ देख मन मीत पियरवा
CH5
अमरपुर ले चलो सजना
CH6
राम बिनु तन की ताप न जाई
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