सनातन माने वो जो नित्य है, जो काल की सीमाओं से बाहर है।
न कोई परम्परा सनातन है, न कोई संस्कृति और न ही कोई सम्प्रदाय। जो कुछ समय की देन है, जो भी कुछ जगत का है, वह सनातन नहीं हो सकता।
पर मनुष्य की चेतना कल भी बेचैन थी, आज भी बेचैन है। शांति की तलाश उसे कल भी थी, आज भी है।
मन को शांति चाहिए, यह माँग ही सनातन है और उसे शांति की ओर ले जाना ही सनातन धर्म है। इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं है सनातन।
शाश्वत सत्य ही सनातन है और उसकी तलाश ही सनातन धर्म है।
आपको सनातन धर्म की वास्तविकता पता चले और आप इस विषय में भ्रम में न रह जाएँ, इसी उद्देश्य से आचार्य प्रशांत की यह पुस्तक आपके समक्ष है।
Index
1. सनातन धर्म की सच्चाई जानिए2. वेदान्त ही सनातन धर्म है3. सनातन धर्म के सामने सबसे बड़ा ख़तरा क्या?4. किसी इंसान ने ही लिखे होंगे उपनिषद्, हमें नहीं पढ़ना5. मूर्तिपूजा का रहस्य6. मूर्तियों और मिथकों को मानें कि नहीं?