सही कर्म (Sahi Karm) [नवीन प्रकाशन]

सही कर्म (Sahi Karm) [नवीन प्रकाशन]

सही नौकरी, सही काम, सही ज़िन्दगी
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hindi Language
226 Print Length
Description
यह एक प्रश्न हर मनुष्य किसी-न-किसी तरीक़े से पूछता है कि मेरे लिए सही काम क्या है। यह प्रश्न आवश्यक भी है क्योंकि मनुष्य करने के लिए जो काम चुन लेता है, वही काम फिर उसके जीवन की गुणवत्ता और मंज़िल भी निर्धारित कर देता है। तो एक मायने में कहा जा सकता है कि काम ही जीवन है – सही काम माने सार्थक जीवन और ग़लत काम माने बर्बाद जीवन।

आम जन में कर्म को लेकर यह भ्रान्त अवधारणा होती है कि कर्म इसलिए होता है कि हम रोटी कमा सकें, घर बना सकें या पैसा और रुतबा पा सकें।

जिनकी भी थोड़ी सूक्ष्म दृष्टि रही है, उन्होंने कर्म से पहले कर्ता को देखा है। और कर्ता (अहम्) का बड़े-से-बड़ा हित यही है कि वो अपनी नियति तक पहुँच जाए, मुक्ति पा जाए।

प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से आचार्य प्रशांत ने इस विषय को सहज रूप से समझाया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया है कि सही कर्म का एकमात्र यही अर्थ है कि जो बन्धन में है वो कुछ ऐसा काम चुने जो उसके बन्धनों को काटे और उसे उसकी मूलग्रन्थि से मुक्त करे।
Index
CH1
जानते हैं आपके लिए सही काम क्या है?
CH2
करने के लिए काम कैसे चुनें?
CH3
क्या करें क्या न करें - पहेली कर्म की
CH4
जो अनासक्त हो सब कर्म करे वही श्रेष्ठ है
CH5
ज्ञानी वही जो बाहर निरन्तर कर्म में रत हो
CH6
काम को टालने की आदत?
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