साहस [नवीन प्रकाशन]

साहस [नवीन प्रकाशन]

अपनी ताकत पहचानो!
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hindi Language
176 Print Length
Description
हम जीवन में कई बार स्वयं को भीतर से कमज़ोर और हारा हुआ पाते हैं। हमें लगता है कि साहस कोई बाहरी चीज़ है जो आकर हमें मज़बूती देगी। आचार्य जी कहते हैं कि साहस कोई अवस्था नहीं होती, अवस्था भय की होती है। भय की कृत्रिम अवस्था के हटने पर जो सहजता बाक़ी रह जाती है, वही साहस है।

कई बार लगता है कि हमारी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाया जा रहा है। इसका हम कुछ बाहरी समाधान खोजने का प्रयास करते हैं। आचार्य जी समझाते हैं कि ऐसे में हमें लड़ने की ज़रूरत ही नहीं है। हमें ऐसा हो जाना है कि किसी की हिम्मत ही नहीं पड़े कि हमें कमज़ोर समझे।

हमारे भीतर की शक्ति से हमें परिचित कराती आचार्य जी की प्रस्तुत पुस्तक हरेक उस व्यक्ति को सम्बोधित है जिसे अपने भीतर किसी तरह की कमी दिख रही है जो उसे आगे बढ़ने से रोकती हो।
Index
CH1
सच के सामने नमित हो जाओ या दुनिया के सामने दमित
CH2
छोटे कद को लेकर हीनभावना?
CH3
दबंगों और बाहुबलियों से घबराते हो?
CH4
उतरो यथार्थ के धरातल पर
CH5
जवान आदमी को ऐसी कमज़ोर बातें शोभा नहीं देतीं
CH6
कैसे पता करें कि ज़िन्दगी सही दिशा जा रही है?
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