Combo books @99/book! 60+ combos available. FREE DELIVERY! 😎🔥
badge
राम निरंजन न्यारा रे [नवीन प्रकाशन]

राम निरंजन न्यारा रे [नवीन प्रकाशन]

सम्पूर्ण भजन व भाष्य
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹21
₹150
Paperback
In Stock
36% Off
₹159
₹250
Already have eBook?
Login

Book Details

Language
hindi
Print Length
184

Description

राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे! अंजन माने प्रकृति; ये शरीर, हमारे विचार, हमारी मान्यताएँ, सुख-दुख, रिश्ते-नाते, कल्पनाएँ, आकांक्षाएँ—सब अंजन का ही विस्तार है, सब अंजन का ही पसार है। तो निरंजन क्या है? राम हैं निरंजन — वो जो इस पूरे विस्तार से न्यारे हैं, विशिष्ट हैं। क्या आपके जीवन में भी कुछ ऐसा है जो इस प्रकृति के फैलाव से अलग है? क्या आपके जीवन में कुछ ऐसा है जो आपको उस निरंजन राम से मिलवा सके? प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य जी कबीर साहब के इस भजन का वेदान्तिक अर्थ कर रहे हैं और एक-एक शब्द के माध्यम से हमारे जीवन के अंजन की परतों को खोल रहे हैं। पूरी चर्चा में आचार्य जी बता रहे हैं कि कैसे अंजन से घिरे रहकर भी कोई उसी अंजन को माध्यम बना सकता है निरंजन तक पहुँचने का। आशा है इस पुस्तक के माध्यम से आप भी अंजन से निरंजन की ओर बढ़ पाएँगे।

Index

1. ‘मैं’ विशेष नहीं, प्रकृति की धूल भर है 2. ओम्: शान्त से अनन्त की यात्रा 3. साधन को पकड़े रहना सबसे बड़ा बन्धन 4. जिसे पूजोगे, उसी को पा जाओगे 5. सच या संसार, किसे चाहे अहंकार? 6. असली चोर बाहर नहीं, भीतर है
View all chapters
Buy new:
₹159
36% Off
₹250
In Stock
Free Delivery
Quantity:
1
Share this Book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light