हमारे जीवन की दिशा तय करने में हमारी परवरिश की अहम भूमिका होती है। शिक्षा से लेकर खान-पान तक, पहनावे से लेकर सम्बन्धों तक, यहाँ तक कि संसार के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होगा, यह बहुत हद तक इसी बात से प्रभावित होता है कि हम कैसे माहौल में पले-बढ़े हैं।
आमतौर पर यह माना जाता है कि अच्छी परवरिश का अर्थ है बच्चे को 'अच्छे संस्कार' देना। पर जैविक संस्कार तो हर बच्चा लेकर ही पैदा होता है, उसके ऊपर कुछ नैतिक सिद्धांतों की एक और परत चढ़ा देना व्यक्ति के मन को और बाँध देता है।
हर माँ-बाप यही चाहते हैं कि उनके बच्चों का भला हो, पर वे यह भूल जाते हैं कि अपनी संतान में वो ऊँचे मूल्य तभी स्थापित कर पाएँगे जब पहले वे स्वयं उन मूल्यों पर चल रहे हों। आप अपने बच्चों को भी वही देंगे जैसे आप हैं।
इस पुस्तक में आचार्य प्रशांत ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि बच्चे हमारे शब्दों से ज़्यादा हमारी हस्ती से सीखते हैं। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे एक प्रेमपूर्ण, ऊँचा और मुक्त जीवन जियें, तो हमें खुद उसका उदाहरण बनना होगा।
Index
CH1
बच्चों की परवरिश में सबसे बड़ी भूल
CH2
बच्चों की परवरिश में एक ज़रूरी बात
CH3
सही अभिभावक की पहचान
CH4
बच्चों की ज़िन्दगी में कितना दखल देना ठीक है?
CH5
माँ-बाप और बच्चों के सम्बन्ध की बात
CH6
सर, आपके जीवन में आपकी माता जी का क्या योगदान रहा?