'ध्यान' शब्द का प्रयोग अलग-अलग संदर्भों में किया जाता है। विद्यार्थी हो या खिलाड़ी, व्यापारी हो या कर्मचारी, आध्यात्मिक साधक हो या कोई कलाकार, सभी गहरे ध्यान के आकांक्षी होते हैं पर असली ध्यान से हम वंचित ही रह जाते हैं।
ध्यान गहरा और निरंतर हो, इसके लिए सबसे आवश्यक है ध्यान का विषय और उद्देश्य। आमतौर पर हमसे यही पर भूल होती है। हमारे ध्यान का विषय बनती है कोई भौतिक वस्तु और उद्देश्य होता है कामनापूर्ति। जबकि वास्तविक ध्यान में सबसे महत्वपूर्ण है ध्यान के विषय का विवेकपूर्ण चुनाव।
ध्यान का विषय कैसे चुनें? क्या ध्यान की कोई विशेष विधि होती है? ध्यान का लक्ष्य क्या होना चाहिए? क्या निरंतर ध्यान सम्भव है?
आचार्य प्रशांत द्वारा रचित इस पुस्तक में हम ऐसे अनेक प्रश्नों का समाधान पाते हैं। ये 10 सूत्र ध्यान से जुड़ी सभी भ्रांतियों को दूर तो करेंगे ही, साथ-ही-साथ यह समझने में भी सहायक होंगे कि व्यावहारिक तौर पर ध्यान को जीवन में कैसे उतारा जा सकता है।
Index
1. ध्यान क्या है? ध्यान की विधियाँ क्या हैं?2. ध्यान की विधियों की हक़ीक़त3. साउंड ऑफ साइलेंस (Sound of Silence) का झूठ4. ध्यान में विचित्र आवाज़ें सुनाई देती हैं5. साँस तो लगातार चलती है, ध्यान लगातार क्यों नहीं चलता?6. ध्यान और एकाग्रता (मेडिटेशन और कॉनसन्ट्रेशन)