नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की शौर्य गाथा तो हम सभी जानते हैं, पर बहुत कम लोगों को पता है कि उनकी वीरता का स्त्रोत वेदान्त था। कम उम्र में ही उनका परिचय स्वामी विवेकानंद के साहित्य से हो गया था जिनसे उन्हें आज़ादी के लिए संघर्ष की प्रेरणा मिली।
बचपन से ही वे एक मेधावी छात्र तो ही, उपनिषदों और गीता की संगति पाकर उन्होंने अपने भीतर पुरुषार्थ जागृत किया, जो कि सुभाष बोस से नेताजी बनने तक के सफ़र का आधार था।
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य प्रशांत हमें बता रहे हैं कि कैसे नेताजी के दृढ संकल्प और आज़ादी के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें एक महान योद्धा बनाया।