झुन्नूलाल का नाम तो आपने सुना ही होगा! यदि नहीं, तो आइए झुन्नू से आपका परिचय एक कहानी के माध्यम से कराते हैं।
झुन्नू सुई ढूँढ रहा है और उसके लिए पूरे मोहल्ले में खूब भाग-दौड़ कर रहा है। धनिया, माने मिसेज़ झुन्नू, आग-बबूला हुई बाहर आती हैं और फूट पड़ती हैं — नुन्नू की परवाह नहीं तुम्हें, अपनी सुई खोजने में लगे हो! ये तो बताओ कि आखिर सुई खोयी कहाँ थी?
झुन्नू: अ ब ब... घर के अंदर!
धनिया: जो भीतर खोया है उसे बाहर क्यों ढूँढ रहे हो?
झुन्नू: पर भीतर तो अंधेरा है, बाहर ज़्यादा रोशनी है, तो मैंने सोचा बाहर ही खोज लिया जाए।
तो कैसा लगा हमारा झुन्नू और उसकी शानदार कहानी?
झुन्नू वो जो भीतर से बेचैन है पर भीतर अज्ञान के अन्धेरे के कारण उसे लगता है कि बाहर भाग-दौड़ करके उसकी बेचैनी मिट जाएगी। भीतर से बेचैन सिर्फ़ झुन्नू है या आप भी? ये कहानी सिर्फ़ झुन्नू की है या आपकी भी?
कहानियों से बेहतर कोई माध्यम नहीं अहम् की चोरी पकड़ने का, और वो भी तब जब उनमें हास्य भी शामिल हो। आचार्य जी द्वारा सत्रों में सुनाई गई ऐसी ही हास्य से भरी और बोधपूर्ण कहानियों का पात्र है झुन्नू जिन्हें इस पुस्तक में संकलित किया गया है। आशा है कि यह पुस्तक आपके लिए समझ और बोध के रास्ते को और अधिक हल्का और रोचक बना देगी।
Index
1. झुन्नू भिखारी2. झुन्नू और चार-हज़ार की शर्ट3. झुन्नू और सोने की ईंट4. झुन्नू और झींगालाला5. झुन्नू और उसका दोस्त टुइयाँ6. झुन्नू, धनिया और द्वैत का खेल