जानदार व्यक्तित्व (उक्तियों के साथ) – नवीन प्रकाशन

जानदार व्यक्तित्व (उक्तियों के साथ) – नवीन प्रकाशन

भीतर फ़ौलाद चाहिए?
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hindi Language
182 Print Length
Description
जानदार व्यक्तित्व बाहर से खाल चमकाने से, रूप-रंग बनाने से या ज्ञान और भाषा-शैली परिष्कृत करने से नहीं आता। ये भीतर की बात होती है।

हम सबको यही रहता है कि बाहरी व्यक्तित्व अच्छा हो। भीतर का हाल ठीक रखने में हमारी रुचि नहीं होती क्योंकि दिखाई तो चीज़ बाहर की ही देती है। अगर बाहर-बाहर ही दिखावा करके और रंग-रोगन करके काम चल जाता है तो भीतर झाँकने की और सफ़ाई करने की जहमत हम नहीं उठाते।

साधारण मनुष्य के व्यक्तित्व के आधार में दो ही चीज़ें होती हैं — कुछ पाने का लोभ और कुछ खोने का डर। तो इस तरह से व्यक्ति का व्यक्तित्व ही व्यक्ति का बन्धन बन जाता है।

फिर दुर्लभ ही सही लेकिन ऐसे भी महापुरुष होते हैं जो अपने निजी व्यक्तित्व के सीमाओं को तोड़कर समूचे समष्टि के कल्याण के लिए कर्म करते हैं। ये समस्त प्रकार के आग्रहों, छवियों और व्यक्तित्वों से मुक्त होते हैं। इनका अपना कोई निजी व्यक्तित्व नहीं होता, वक़्त की जो माँग होती है, उसके अनुसार वो व्यक्तित्व धारण कर लेते हैं। निष्कामता और करुणा ही इनके व्यक्तित्व की बुनियाद होती हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य प्रशांत ने ऊँचे व्यक्तित्वों के जीवन दर्शन और उनके लक्षणों के बारे में बड़े ही सहज तरीके से बताया है। एक जानदार व्यक्तित्व के मालिक बनने में यह पुस्तक पाठकों के लिए अवश्य सहायक सिद्ध होगी।
Index
CH1
शानदार व्यक्तित्व के मालिक कैसे बनें?
CH2
न छोटे हो, न कमज़ोर — अपनी ताक़त जगाओ तो सही
CH3
तुम भेड़ नहीं हो, फिर भीड़ के पीछे क्यों?
CH4
ये सिर झुकने के लिए नहीं है
CH5
हिचक और डर है जीवन में?
CH6
तुम कमज़ोर हो, इसलिए लोग तुम्हें दबाते हैं
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