हमन है इश्क़ मस्ताना [नवीन प्रकाशन]

हमन है इश्क़ मस्ताना [नवीन प्रकाशन]

सम्पूर्ण भजन पर व्याख्या
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Paperback Details
hindi Language
142 Print Length
Description
हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या!

ज़िन्दगी को यदि किसी ने छक के पिया है तो वो हमारे संत हैं। कबीर साहब का ये भजन अनूठा है। इश्क और प्रेम का जो अर्थ हम आम दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, उसने प्रेम के असली अर्थ को विकृत कर दिया है। अक्सर ही हम हमारे सबसे स्थूल बंधनों को प्रेम का नाम दे देते हैं।

वास्तविक प्रेम का काम है आपको जगत से आज़ादी दिलाना। प्रेम का काम आंतरिक है। प्रेमी कहता है, ‘मुझे ऊँचा उठना है, मुझे मुझसे बेहतर होना है, मुझे अपनी उच्चतम संभावना को पाना है।’ प्रेम का काम बिल्कुल अंदरूनी है। जब काम अंदरूनी है तो हमें दुनिया से क्या लेना-देना! “रहें आज़ाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या?” प्रेम का अनिवार्य लक्षण है ये कि वो आपको दुनिया से आज़ाद कर देता है, आत्मनिर्भर बना देता है।

इस पुस्तक के माध्यम से आचार्य प्रशांत परत-दर-परत भजन के अर्थ को खोलते हैं और उस ऊँचे प्रेम से हमारा परिचय करवाते हैं जिसमें व्यक्ति किसी दूसरे से नहीं बल्कि अपने ही छुटपन से ऊँचा उठने में रत है। आशा है प्रेम के सच्चे और ऊँचे अर्थ को समझने और उसे जीवन में उतारने के लिए यह पुस्तक आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी।
Index
CH1
इश्क सिर्फ़ सच से हो सकता है
CH2
सच्चे प्रेम में तीन होते हैं
CH3
प्रेम इतना सस्ता नहीं
CH4
सब नाम ही हमारे सिर का बोझ है
CH5
परिणाम नहीं, प्रयास
CH6
कामना और प्रेम में अन्तर
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