दुर्गासप्तशती + शक्ति + [1 आचार्य प्रशांत कोट्स स्टिकर मुफ़्त]

दुर्गासप्तशती + शक्ति + [1 आचार्य प्रशांत कोट्स स्टिकर मुफ़्त]

दो पुस्तकों का कॉम्बो मुफ़्त स्टिकर के साथ
Description
शिव केंद्र हैं, शिव सत्य हैं। शिव वो हैं जिन तक मन, ‘मन’ रहकर पहुँच नहीं सकता। शिव को तो रहस्य रहना है सदा। शक्ति मन है, संसार है। शिव में स्थिरता है, अचलता है। शक्ति में गति है, चलनशीलता है। शक्ति जीवन है, शक्ति वो सबकुछ है जिससे आप एक मनुष्य होकर के सम्बन्ध रख सकते हैं। शक्ति भाव है, शक्ति विचार है। शक्ति में संसार के सारे उतार-चढ़ाव हैं, आँसू हैं और मुस्कुराहटें हैं।

जो स्थान श्रीमद्भगवद्गीता का वेदांत में है, वही स्थान श्रीदुर्गासप्तशती का शाक्त सम्प्रदाय में है। शाक्त सम्प्रदाय हिन्दू धर्म का ही अंग है क्योंकि इसकी उत्पत्ति वैदिक परंपरा से हुई है और इसके आधार वेद हैं। शाक्त सम्प्रदाय सत्य के नारी रूप अथवा देवी रूप की उपासना करता है। और देवी की उपासना कई अर्थों में हमारे लिए ज़्यादा उपयोगी है क्योंकि शिव तो निराकार हैं, उनसे क्या सम्बन्ध बना सकते हैं हम? सम्बन्ध तो सगुणी प्रकृति से ही बन सकता है। और यही सम्बन्ध निर्धारित करेगा कि हम भवसागर से तरेंगे कि भवसागर में डूबेंगे।
Choose Format
Share this book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings? Only through your contribution will this mission move forward.
Reader Reviews
5 stars 0%
4 stars 0%
3 stars 0%
2 stars 0%
1 stars 0%