बदला [नवीन प्रकाशन]

बदला [नवीन प्रकाशन]

प्रतिक्रिया नहीं, परिवर्तन
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hindi Language
192 Print Length
Description
आत्म-अज्ञान के वशीभूत बदले की आन्तरिक ज्वाला में जलता हुआ मन न सिर्फ़ स्वयं को सज़ा देता है, बल्कि उसके कर्मों व सम्बन्धों में भी यह भाव अपनी वीभत्स अभिव्यक्ति पाता है। आज तक धरती पर हुए अधिकांश महायुद्धों के पीछे भी बदले की यह भावना ही मूल कारक या उत्प्रेरक रही है।

बदले की भावना के पीछे का गहरा मनोविज्ञान क्या है? बदले की भावना से मुक्त होकर जीवन और सम्बन्धों को आनन्द और प्रेम से परिपूर्ण कैसे बनाया जा सकता है? प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से आचार्य प्रशांत ने इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर हमें बडे़ ही सहज तरीके से समझाए हैं।

यह पुस्तक अनिवार्य रूप से हमारे पाठकों को इस विषय पर एक गहरी स्पष्टता प्रदान करेगी और एक सार्थक आन्तरिक रूपांतरण में सहायक सिद्ध होगी।
Index
CH1
जब किसी ने दिल दुखाया हो
CH2
जब लगे कि नाइंसाफ़ी हुई है आपके साथ
CH3
कृष्ण की 'हिंसा' बनाम गाँधी की अहिंसा?
CH4
अन्याय सहना कितना ज़रूरी?
CH5
रिवॉल्वर बचाकर रखो, असली दुश्मन दूसरा है
CH6
दुश्मन को पहचानो
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