अंधविश्वास [नवीन प्रकाशन]

अंधविश्वास [नवीन प्रकाशन]

मानने से पहले जानो
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hindi Language
228 Print Length
Description
तथ्यों की उपेक्षा और मान्यताओं को अंगीकार करने के फलस्वरूप मानवता सदियों से अंधविश्वासों की चपेट में रही है और उनके दुष्परिणाम झेलती रही है। अंधविश्वास ने व्यक्ति के जीवन को डरा-सहमा और संकुचित बना डाला है।

जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत, अदृश्य शक्तियाँ, ज्योतिष व हस्तरेखा — इन तमाम सामाजिक विद्रूपताओं की मूल वजह अंधविश्वास ही है। आज के समय की विडंबना ये है कि शिक्षा और विज्ञान में तरक्की के बावजूद भी लोग अंधविश्वास की गिरफ्त से उबर नहीं पा रहे। साउंड ऑफ साइलेंस, पॉज़िटिव एनर्जी और पॉज़िटिव वाइब्रेशन तथा नारियल फोड़ने जैसी मान्यताओं को आज भी पढ़ा-लिखा समाज मान रहा है।

आज के पढ़े-लिखे वर्ग में भी अंधविश्वास इतना व्यापक क्यों है? अंधविश्वास का समूल समाधान क्या है? इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के समुचित उत्तर ही अंधकार की ओर बढ़ रही इस पूरी मानवता को बचा सकते हैं।

प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से आचार्य प्रशांत ने इन तमाम झूठी और दुष्प्रचारित मान्यताओं का खंडन किया है और आत्मज्ञान संचालित वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित किया है।
Index
CH1
ये यंग हैं, कूल हैं, और अंधविश्वासी हैं
CH2
अंधविश्वास सफल कैसे हो जाता है — तीन कारण (तीसरा खतरनाक है)
CH3
जब घर में किसी को भूत चढ़ते हों
CH4
नींबू-मिर्च का टोटका, और झाड़-फूँक का विज्ञान
CH5
साँप बेचारे!
CH6
आओ तुम्हारा भविष्य बताएँ
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