जीवन को समझने वाले बता गये हैं कि हमारा प्रत्येक कर्म डर से निकलता है। हमारी सारी भविष्य की योजनाएँ, सुरक्षा की तलाश, ख़ुद को बचाने का प्रयास डर की ही अभिव्यक्तियाँ हैं।
डर से हमारा पुराना नाता है, पर अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि डर कहाँ से आता है, क्यों आता है और डर का सामना कैसे किया जाए। और फिर इसी तरह हम अपनी पूरी ज़िन्दगी डर में बिता देते हैं। यह कभी हमारे मन में ही नहीं आता कि एक भयमुक्त जीवन भी सम्भव है।
आचार्य प्रशांत ने इस पुस्तक में समझाया है कि हमारे रोज़मर्रा के जीवन में डर कैसे अभिव्यक्त होता है और डर पर विजय पाने के सूत्र क्या हैं। यह पुस्तक उन सबके लिए उपयोगी है जो भय को समझकर उसके पार निकलना चाहते हैं।
Index
1. जीवन में कुछ खो जाने का भय हमेशा क्यों रहता है?2. डर कैसे दूर करें?3. डर कैसे छोड़ें?4. भय दूर कैसे हो?5. डर एक साज़िश है सच के ख़िलाफ़6. अपने अंदर से डर कैसे हटाऍं?