विचार और वृत्तियाँ ही हैं मन || आचार्य प्रशांत (2013)

Acharya Prashant

3 min
130 reads
विचार और वृत्तियाँ ही हैं मन || आचार्य प्रशांत (2013)

प्रश्न : मन में बार-बार विचार आते ही क्यों हैं?

श्री प्रशान्त : मन में विचार नहीं आते, विचार ही मन हैं। मन और विचार एक ही हैं। विचार नहीं हैं तो मन भी नहीं है। यह सोचना कि “मन है और मन में विचार आते हैं”, नहीं, ऐसा है नहीं। मन ही विचार है। अगर विचार न हो तो मन कहीं नहीं है। और यह बात बहुत दूर तक जाती है।

इसका अर्थ समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।

जैसा कि हम जानते ही हैं कि हमारी सारी पहचान एक विचार है। हमें लगता है कि पहचान तो लगातार है। पर सच यह है कि पहचान तो बस तभी है जब आप सोच रहे हो कि वो आपकी एक पहचान है। हमारा रोज़मर्रा का अनुभव यह है कि हमारे पास पैसे हैं, हम सो जाते हैं और दोबारा जब हम उठते हैं तो यह पाते हैं कि वो पैसे हमारे पास कायम हैं। यही तो होता है न? सत्य इससे थोड़ा सा विपरीत है। जब आप सो जाते हैं, उस समय सब विलीन ही हो जाता है। ऐसा नहीं होता है कि आप सोए हुए हैं और वो सब है अभी। हालांकि जब आप सो कर उठते हैं और सब कुछ वैसा ही दिखाई पड़ता है जैसा स्मृति ने कुछ घंटों पहले देखा था तो लगता ऐसा ही है कि जैसे बाहर एक निरन्तरता चल रही है और उसके बीच में मैं सो गया था। भ्रम हमें यह होता है कि बाहर जो कुछ चल रहा है उसमें एक निरन्तरता है और उसके बीच में थोड़ी देर के लिए बस मैं सो गया था। और जब वापस उठा हूँ तो सब कुछ वैसे का वैसा है जैसा सोने से पहले था। तार्किक रूप से देखें तो ऐसा हो नहीं रहा है। हो असल में यह रहा है कि जैसे ही विचार लुप्त हुआ है, संसार भी लुप्त हो गया है।

मन और संसार दोनों विचार के अलावा और कुछ नहीं हैं। यह बोध तुम्हें बहुत ही विनीत कर देता है। पर यह अहंकार के लिए बड़ा ही खतरनाक होता है क्योंकि हम लगातार इसी आधार पर ज़िन्दा हैं कि बाहर जो कुछ है, वो असली है – हमारी पहचान, हमारे रिश्ते-नाते, रुपया-पैसा, यह सब कुछ जो बाहर है वो असली है।

क्या यही मूल भ्रम नहीं है?

~ ‘शब्द योग’ सत्र पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories