सरकारी नौकरी से वंश चलेगा || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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सरकारी नौकरी से वंश चलेगा || नीम लड्डू

लड़कीवाले लड़की देने को राज़ी नहीं होते अगर सरकारी नौकरी नहीं है। और कोई वजह हो-न-हो, वंश चलाने की ख़ातिर हमें यूपीएससी निकालना पड़ेगा। ‘वंश चलाने के लिए यूपीएससी निकालना पड़ेगा!’ यह सब तो तुम्हारे सारे कारण हैं सरकारी नौकरी के पीछे जाने के, नहीं तो और तुम क्यों इतने व्याकुल हुए जा रहे हो सरकारी नौकरी के लिए?

तुम्हें जनसेवा करनी है? तुम्हें जनसेवा करनी होती तो दस साल तुम खाली बैठकर के तैयारी कर रहे होते और अपनी जवानी के स्वर्णिम वर्ष तुमने जला दिए होते? ये जनसेवा वगैरह के तर्क इंटरव्यू में देना, वहाँ अच्छा लगता है जब पूछा जाता है कि तुम्हें यह नौकरी क्यों चाहिए और तुम बोलते हो कि, “बिकॉज़ पब्लिक सर्विस इज माय पैशन * ।“ बोलते हैं, “ठीक, बिलकुल सही से रट कर आया है ये कि क्या बातें बोलनी होती हैं, एकदम हुनरमंद बेईमान है, सारे झूठे जवाब इसने कंठस्थ कर रखे हैं, तुरंत इसको नियुक्ति पत्र दो, सिलेक्टेड!”

वो भी बस यही जाँच रहे थे कि कहीं ईमानदारी तुममे बची तो नहीं है एक-दो प्रतिशत। अगर एक-दो प्रतिशत भी बची है तो तुम्हारा चयन होगा नहीं। कहीं तुमने खुली बात बोल दी कि यूपीएससी तुमको इसलिए निकालना है क्योंकि वंश का सवाल है, फिर तो तुम्हारा चयन होने से रहा, जबकि बात वही असली है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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