संयम कैसे साधें? || आचार्य प्रशांत (2019)

Acharya Prashant

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संयम कैसे साधें? || आचार्य प्रशांत (2019)

आचार्य प्रशांत: जिन्होंने शरीर के ही दम पर प्रसिद्धि पायी, जिनको शरीर के ही नाते जानते हो, उन फिल्मी सितारों की जवानी की और बुढ़ापे की तसवीरें देख लिया करोl देह क्या है, स्पष्ट हो जाएगाl देह भाव से मुक्त होने का अच्छा तरीका हैl

कोई सुपरस्टार हो, देख लो आजकल कैसे लगते हैं। सत्तर के दशक के किसी सुपरस्टार की आज की तसवीरें देख लो या उस ज़माने की कोई तारिका हो, उनकी आज की देख लो तस्वीर। उनमें से बहुत सारी तो आजकल तसवीरें खिंचवाती ही नहीं, लाज आती हैl

पहले कहते थे कि अरे! सुन्दर तो चाह, आकर्षक, माँस, देह, उभार, नाभि, इनसे आकर्षक क्या होता है? फिर बोले, ‘अरे! खाल, इस खाल से क्या चूमा-चाटी करनी?

जिस खाल के ठीक नीचे मल, मवाद, पित्त, मूत्र, तमाम तरह की रज, यही बैठे हुए हैं, बस वो दिख नहीं रहे हैंl इतनी पतली सी, चमड़ी की चादर है (हाथ से पतले का इशारा करते हुए), उस चादर के पीछे छिपा हुआ है मल, मूत्र, इसलिए दिख नहीं रहा हैl क्या चाटे जाएँ उस चमड़ी को?’

चाटते वक़्त ख़्याल नहीं आएगा कि चमड़ी के ठीक पीछे क्या है? जिसको ये विचार आने लग गया, वो कैसे अब देह भाव में जी लेगा, बताओ?

और किसी को तुम्हारी देह का पता हो न हो, तुम्हे तो पता ही हैl औरों से तो हम बहुत सारी चीज़ें छुपा जाते हैंl

औरों के सामने आते हैं तो अपना आँख का कीचड़ पोंछकर आते हैं, नाखून-वाख़ून काट लेंगे, गन्दगी साफ़ कर लेंगेl

भरी सभा में पाद भी मारेंगे तो ज़रा छुपकर मारेंगे कि किसी को पता न चलेl पर तुम्हें तो पता ही है न कि अभी-अभी तुमने कितनी बदबू फैलाई हैl

तुम्हें तो अपनी देह की औक़ात और असलियत पता है नl औरों से छुपा लो तुम्हें नहीं पता है क्या?

बड़ी बेईमानी की बात है न, दूसरों को रिझाने जा रहे हो देह दिखाकर। और जिसको रिझाने जा रहे हो, उससे मिलने से ठीक पहले गर-गर, गर-गर, गर-गर। माउथ फ्रैशनर किया हैl

तुम जानते हो न कि तुम्हारे मुँह से कितनी बदबू उठती है, सभी के मुँह से उठती हैl और फिर भी तुम मुँह में नकली खुशबू बसा रहे होl ये तुम दूसरे को धोखा दे रहे हो या अपनेआप को दे रहे होl

और फिर ऐसे ही रिश्ते टूटते हैं, बड़ी निराशा आती है, झटका लग जाता हैl शुरू-शुरू में तो दाँत चमकाकर और कुल्ला-मंजन करके और लिस्ट्रीन डालकर पहुँचते थेl

फिर जब रिश्ता जम गया, तो एक दिन ऐसे ही पहुँच गये ओनियन (प्याज़) डोसा खाकर और बोले, ‘प्रियतमा चुम्बनl’ ये प्रियतमा अगर उस क्षण के बाद भी देह भाव में जिये तो ये नर्क की अधिकारी हैl

इसको पूरा हक़ है कि इसको नर्क ही मिलेl जिसे जगना होगा, जिसे चेतना होगा, वो उस क्षण में जग जाएगी, कहेगी ये है असलियतl

सिद्धार्थ राजकुमार के साथ हुआ था ऐसाl उनके पिता को कुछ ऋषियों ने आगाह करा था कि आपका बेटा संन्यासी निकल सकता है — कुछ देखे होंगे उसके लक्षणl

तो पिता ने बड़ा बन्दोबस्त कियाl उसको कभी दुख महसूस न होने दें, उसके लिए भोग-विलास के सब साधन इकट्ठे कर दिए और राज्य की जो सुन्दर-सुन्दर लड़कियाँ थीं, उनको बुलाते और कहते ये मेरे बेटे के साथ रहो, दोस्ती करो, राग-रंग हो, नाच-गाना होl कहानी है, जानता नहींl

कहानी है कि एक रात ऐसे ही देर तक चला नाच-गाना, मदिरा इत्यादि भी रही होगीl तो जितनी लड़कियाँ आयीं थीं, उन्होंने पी, शायद सिद्धार्थ ने भी पी होगीl

सब अपना बेहोश पड़े हैंl बहुत देर रात, करीब-करीब भोर अचानक सिद्धार्थ की नींद खुली, होश आयाl और वो सब रूपसी, सुंदरियाँ, अव्वल नम्बर की। उनको बुलाया गया थाl

अब वो सब बेहोश, ढुलकी पड़ी थीं — और मैं कल्पना कर रहा हूँ — सिद्धार्थ ने बिलकुल फटी-फटी आँखों से देखा होगा उनको, कहाँ गया इनका रूप?

किसी का पूरा काजल और जो कुछ भी मुँह पर मल रखा है चौक, खड़िया वो सब धुला हुआ हैl किसी के मुँह से लार बह रही हैl किसी के सुन्दर कपड़े वगैरह अस्त-व्यस्त हो गये हैंl

तो वो और बदसूरत लग रही हैं उत्तेजक लगने की जगहl कोई मुँह फाड़े पड़ी हुई है बेहोशी मेंl कोई खर्राटे मार रही हैl

किसी ने इतनी पी ली है कि उसने उलटी-वुलटी कर दी हो, वो अपनी ही उलटी में लथपथ पड़ी है, वमन करकेl सिद्धार्थ ने ये सब देखाl ठीक।

अगर ये है रूप की असलियत, तो नहीं चाहिए रूपl

रूप भी तभी सुहाता है, जब बड़ी तैयारी करके आता हैl सब पुरुषों कि लिए निश्चित होना चाहिए कि स्त्रियों के ब्यूटी पार्लर में कम-से-कम तीन महीने काम करें।

ये व्यवस्था बननी चाहिएl जाकर देखो तो कि जिस रूप-यौवन के पीछे तुम इतने पागल रहते हो, उसकी हक़ीक़त क्या है।

जितने फ़ल और सब्ज़ियाँ रसोई में नहीं पाये जाते, उससे ज़्यादा मुँह पर मले जा रहे हैंl दुनियाभर के रसायन देह पर घिसे जा रहे हैंl

भौंहें नोची जा रही हैं, बाल नोचे जा रहे हैं, बाल रंगे जा रहे हैं, मोम रगड़ा जा रहा हैl और चीख-पुकार भी मची हुई है, हाय-हाय! हाय-हाय! आँसू भी निकल रहे हैंl

पर ये कार्यक्रम होना ज़रूरी है, ताकि देह आकर्षक प्रतीत हो सकेl जिसने इस व्यापार को देख लिया मुझे बताओ अब वो देह को क़ीमत कैसे देगा?

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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