अच्छे-अच्छे लोग आप देखोगे, खूब कमा रहे होंगे, उनसे पूछो, “ क्वालिटी ऑफ लाइफ? रिचनेस इंडेक्स? (जीवन की गुणवत्ता? समृधि सूचक?)” शून्य! “गाना आता है?” नहीं! “तैरना आता है?” नहीं! “संगीत सीखा कुछ?” नहीं! “कुछ और भाषाएँ सीखीं?” नहीं! “दिनभर करते क्या हो?” “कमाता हूँ, कमाता हूँ, कमाता हूँ!” अरे! करेगा क्या कमा-कमा कर? ३० पार हो गया, ४० का होने जा रहा है, १०-२० साल तेरे पास और बचे जीने को। तेरी क्वालिटी ऑफ लाइफ़ ज़ीरो है।
पैसा जब आए तो उसका उपयोग खाने के लिए कर लीजिए। और जो बचे पैसा उसका उपयोग करिए जीवन में ऐश्वर्य लाने के लिए, रिचनेस लाने के लिए। पैसा इसलिए नहीं होता कि उसको गाँठ बाँधकर रखते जा रहे हैं, रखते जा रहे हैं! पैसा आए तो खर्च करना सीखिए, और सही चीज़ों पर खर्च करना सीखिए। अपने ऊपर खर्च करना सीखिए, अपनी उन्नति, अपनी तरक़्क़ी के लिए खर्च करना सीखिए! अपने में मूल्यवर्धन के लिए, अपने में वैल्यू एडिशन के लिए खर्च करना सीखिए!