सोचो तुम किसी शॉपिंग-मॉल में हो और वहाँ कबीर साहब का भजन बजने लग जाए; बिक्री आधी रह जाएगी बता रहा हूँ। इसलिए बाज़ार का अध्यात्म से छत्तीस का आँकड़ा है। बाज़ार कभी नहीं चाहेगा कि अध्यात्म सफल हो और बाज़ार हर तरह की साज़िशें करेगा अध्यात्म को गिराने की।
तुम शॉपिंग-मॉल में घुसते हो, वहाँ अधनंगी तस्वीरें लगी रहती हैं। वही तुमको और प्रेरित करती हैं भीतरी तौर पर ख़र्चा करने के लिए।
तुम सोचो तुम शॉपिंग-मॉल में घुसो और वहाँ संतों के चित्र लगे हुए हैं। राम और कृष्ण के कट-आउट्स हैं, गौतम बुद्ध की मूर्ति रखी हुई है। बिक्री ही नहीं होगी, मॉल ठप्प पड़ जाएगा। तो मॉल के लिए बहुत ज़रूरी है कि आम जनता को अध्यात्म से बहुत दूर कर दिया जाए।