जहाँ माँस खाना शुरू किया, तहाँ समझ लो कि आप कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ाने वालों की कतार में शामिल हो गए। उपभोग के माध्यमों में जो चीज़ ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक उष्मीकरण) के लिए सबसे ज़्यादा घातक है वो है माँस का सेवन। माँस का सेवन समझ रहे हैं सबसे ज़्यादा घातक क्यों है? वो कटते ही नहीं हैं, वो जीते किस पर हैं? घास पर, और घास का मैदान कहाँ से आएगा? जंगल काट कर।
इस समय दुनिया में सब पशु कम-से-कम आबादी पर पहुँच चुके हैं। जानते हो कौन से पशु हैं जिनकी आबादी ज़बरदस्त बढ़ा दी है इंसान ने? वो पशु जिनको इंसान खाता है – मुर्गा, बकरा, भेड़, गाय, सुअर और ये जीतने हैं, ये सब क्या करते हैं? चरते हैं। इन्हें दाना चाहिए और इनके शरीर से बहुत ज़्यादा मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। तो माँस खाने की जो पूरी प्रक्रिया है वो ज़बरदस्त रूप से कार्बन इन्टेन्सिव प्रक्रिया है।