हम दूसरे की ज़िंदगी में घुसकर के उसको शांत नहीं करते, जो थोड़ी बहुत शांति उसके पास रही भी होती है पहले से, हम उसकी वो शांति भी लूट लेते हैं; मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मत घुसो दूसरे के जीवन में।
तुम अगर वाकई ईमानदारी से यह सोचते हो कि तुम इस लायक हो गए हो कि तुम दूसरे के जीवन में शांति और सच्चाई ले करके आओगे, तो फिर मुझसे पूछने की ज़रूरत ही नहीं है। तुम एक नहीं करोड़ों लोगों के जीवन में प्रवेश करो। लेकिन ऐसा होता नहीं है न। आपने ऐसा देखा है कि नहीं देखा है? कि किसी की ज़िंदगी ठीक-ठाक चल भी रही होती है तो उसको बर्बाद करने के लिए एक प्रेमी घुस आएगा अंदर। ऐसा कौन होता है जो तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुमको ऊँचाइयों की ओर ले जाए? बहुत कोई बिरला होगा, लाखों में एक। बाकी तो जो हाथ पकड़ते हैं, तुम जानते ही हो उनके मंसूबे क्या होते हैं। कौन निस्वार्थ होकर के किसी का हाथ पकड़ता है!