घरवालों के साथ अच्छे रिश्ते कैसे बनाएं?

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घरवालों के साथ अच्छे रिश्ते कैसे बनाएं?

प्रश्नकर्ता: हाइयर एजुकेशन (उच्च शिक्षा) अगर पाएँगे, तो घरवालों, समाज सबसे दूर होना पड़ता है। फिर बड़ी परेशानियाँ होती हैं। क्या करें?

आचार्य प्रशांत: ये ज़्यादातर लोगों को ऐसा ही लगता है कि हाइयर एजुकेशन जो है ये कोई संन्यास जैसी चीज़ है पर ये करने के लिए नहीं कहा जा रहा।

प्र: कोई और विकल्प नहीं है।

आचार्य प्रशांत:: हाँ, पर अटैचमेंट्स (आसक्ति) से मुक्ति। कुछ इस तरीके के वर्ड्स (शब्द)।

प्र: घरवालों से दूर होना पड़ता है। अगर मैं कुछ चाहूँ तो मेरे सोसाइटी (समाज) और घरवाले मना करेंगे।

आचार्य प्रशांत:: बेटा, तुम कह रहे हो घरवालों से दूर होना पड़ता है। मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ कि क्या तुम अभी घरवालों के पास हो, वाकई? ईमानदारी से बताना। हो?

प्र: हाँ।

आचार्य प्रशांत:: कैसे? किस अर्थ में पास हो?

प्र: सर, हमें कुछ अगर चाहिए होता है या कुछ भी चाहिए होता है मॉनेटरी टर्म्स (पैसों से सम्बन्धित) में, ईमोशनल अटैचमेंट्स (भावनात्मक लगाव), कुछ भी, घरवाले हमेशा ही साथ होते हैं और बेसिकली (मूल रूप से) कोई भी होगा तो चाहता ही है कि उसके, मतलब जब उसे ज़रूरत पड़े तो कोई उसके साथ हो, चाहे दोस्त हो, चाहे घरवाले हों।

आचार्य प्रशांत:: तो तुम इस अर्थ में घरवालों के साथ हो और समाज के साथ हो क्योंकि वो तुम्हारी ज़रूरतें पूरी करते हैं।

प्र: एक हद तक तो ये सही है।

आचार्य प्रशांत:: अगर ये सही है बेटा तो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि ये देखो कैसा रिश्ता है। ये तो बड़ी ज़रूरत का रिश्ता है। और तुमने बात बिलकुल ठीक कही है कि हमारे रिश्ते ज़रूरत के ही रिश्ते हैं। और ज़रूरत माने ‘मतलब’।

और यही कारण होता है कि जब ज़रूरतें नहीं रहतीं या ज़रूरतें पूरी हो जाती हैं, तो हमारे रिश्तें भी कमज़ोर पड़ जाते हैं क्योंकि हमारे रिश्ते एसेंशियली (अनिवार्य रूप से) ज़रूरत के रिश्तें हैं, डिपेंडेंसी (निर्भरता) के। डिपेंडेंसी के रिश्ते कभी स्वस्थ रिश्ते नहीं हो सकते।

एचआइडीपी तुमसे ये नहीं कहता है कि इसको छोड़ दो या उसको छोड़ दो। एचआइडीपी कहता है कि अपने रिश्तों के आधार को समझो। और रिश्ता सिर्फ़ माँ-बाप से या दोस्तों से नहीं होता। रिश्तों का अर्थ होता है ये पूरी ज़िन्दगी, क्योंकि हम सम्बन्धों में ही जीते हैं।

अभी तुम किससे सम्बन्धित हो इस समय? मुझसे। राइट नाउ, यू ऐंड आइ आर इन ए रिलेशनशिप (इस वक्त तुम और मैं एक सम्बन्ध में हैं)। वी हैव टू एग्जामिन द बेसिस ऑफ आवर रिलेशनशिप्स (इस वक्त तुम और मैं एक सम्बन्ध में हैं। हमें अपने रिश्तों के आधार की जाँच करनी होगी)।

सी, रिलेशनशिप्स कैन बी ऑफ़ वेरियस काइंड्स। द लोएस्ट काइंड ऑफ़ रिलेशनशिप इज़ अटैचमेंट (देखो, रिश्ते विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। सबसे नीचे तल का सम्बन्ध आसक्ति है)। अटैचमेंट (आसक्ति) ठीक वैसा ही जैसा कि सोडियम पर पानी डालो तो तुरन्त सोडियम को और हाइड्रोक्सील आइन को अटैच (जुड़ना) हो ही जाना है।

सोडियम के पास कोई ऑप्शन (विकल्प) नहीं है कि मैं रिएक्ट (प्रतिक्रिया) करूँ या ना करूँ। सोडियम के पास कोई ऑप्शन नहीं, तुरन्त एक रिलेशनशिप (सम्बन्ध) बन ही जानी है। एनएओएच बन गया, ठीक है न? एक्सप्लोज़न (विस्फोट) हो गया।

दिस इज़ द लोएस्ट काइंड ऑफ़ रिलेशनशिप (यह सबसे नीच तल का सम्बन्ध है)। या फिर जैसे आयरन (लोहा) और मैग्नेट (चुम्बक) की रिलेशनशिप। आयरन को पता है कि वो मैग्नेट को क्यों अट्रैक्ट (आकर्षित) कर रहा है, न मैग्नेट को पता है कि वो आयरन की ओर क्यों जा रहा है। पर दोनों एक-दूसरे की ओर जा रहे हैं और रिलेशनशिप बन गयी है। पता दोनों को ही नहीं है कि ये रिलेशनशिप एक्ज़िस्ट (मौजूद) ही क्यों करती है पर फिर भी काम चल रहा है। दैट इज़ द लोएस्ट काइंड ऑफ़ रिलेशनशिप (यह सबसे नीच तल का सम्बन्ध है)। ठीक है? जिसमें किसी पार्टी (पक्ष) को कुछ पता ही नहीं है।

उससे ऊपर होती है एनिमल रिलेशनशिप (पशु सम्बन्ध)। एनिमल रिलेशनशिप वही होती है कि कुत्ता घूम रहा है, उसको कोई भी रोटी दिखाएगा उसकी ओर चल ही देगा। तो ‘जो मुझे रोटी दे उससे मेरा रिलेशन है।’ ये ज़रूरत की रिलेशनशिप है एनिमल रिलेशनशिप।

‘जो मुझे रोटी दे उससे मेरा रिलेशन है।’ ये फ़ीयर ऐंड ग्रीड (भय और लालच) पर आधारित होती है। यहाँ पर पहली रिलेशनशिप जो है सबसे नीचे वाली मैटेरियल (सामग्री सम्बन्ध)। उसमें तो आयरन को पता ही नहीं कि रिलेशनशिप का आधार क्या है। जो एनिमल रिलेशनशिप है उसमें एनिमल को पाता है रिलेशनशिप का क्या आधार है। क्या आधार है? ग्रीड या फ़ीयर।

बिटवीन वन ह्यूमन बीइंग ऐंड एनदर ह्यूमन बीइंग, द ऑनली पॉसिबल रिलेशनशिप मस्ट बी लव (एक इंसान और दूसरे इंसान के बीच केवल प्रेम का सम्बन्ध सम्भव है)। और लव (प्रेम) ज़रूरत पूरा करने का नाम नहीं है। जहाँ ज़रूरत है वहाँ प्यार नहीं है, ये बात पक्की है। जहाँ डिपेंडेंसी है वहाँ प्यार नहीं है। अगर आप किताब इसलिए पढ़ रहे हो क्योंकि किताब से आपको मार्क्स (अंक) चाहिए तो आपकी और किताब की रिलेशनशिप कौनसी रिलेशनशिप है?

श्रोतागण: एनिमल रिलेशनशिप।

आचार्य प्रशांत:: एनिमल रिलेशनशिप। तो हमारी हमारी किताब से भी रिलेशनशिप एनिमल है। अगर मैं दोस्तों से इसलिए जुड़ा हुआ हूँ क्योंकि दोस्तों से कुछ फ़ायदा मिलता है तो कौनसी रिलेशनशिप है? एनिमल।

एचआइडीपी ये नहीं कहता कि दोस्तों को छोड़ दो, घरवालों को छोड़ दो, दुनिया को छोड़ दो। एचआइडीपी कह रहा है, ’रिलेशनशिप का आधार बदलो। हमारी रिलेशनशिप्स मैटेरियल (सामग्री) हैं, एनिमल हैं, उनको ह्यूमन (मानवीय) बनाओ।’ और ह्यूमन रिलेशनशिप इंटेलिजेंस (बुद्धि) पर, लव पर बेस्ड (आधारित) होती है। घूमते हैं न कई लोग टी शर्ट पहनकर उसपर लिखा होता है, ’माइ डैड इज़ एन एटीएम (मेरे पिताजी एक एटीएम हैं)।’ ये कौन सी रिलेशनशिप है? माइ डैड इज़ एन एटीएम (मेरे पिताजी एक एटीएम हैं)।

श्रोतागण: एनिमल (पाशविक)।

आचार्य प्रशांत:: ये एनिमल रिलेशनशिप है कि जब भी पैसा चाहिए तो पापा दे ही देते हैं। बड़े अच्छे पापा हैं। मन कितना खुश होता है जिस दिन पापा पैसे देते हैं। लगता है गले ही मिल जाओ बिलकुल।

लव डज़ नॉट हैव एक्सपेक्टेशंस। लव इज़ कम्प्लीट इन द मोमेंट राइट नाउ एज़ यू आर लिसनिंग टू मई, दोज़ हू आर रियली लिसनिंग विल बी विदाउट एक्सपेक्टेशंस (प्रेम की कोई उम्मीदें नहीं होतीं। प्यार क्षण में पूरा होता है। अभी जो मेरी बात सुन रहे हैं, वे जो सचमुच सुन रहे हैं, वे अपेक्षाओं के बिना होंगे)। वो ये सोचकर नहीं सुन रहे होंगे कि इससे हमें आगे फ़ायदा क्या मिलेगा। ये सोचकर सुन रहे हो क्या अभी?

श्रोतागण: नहीं, सर।

आचार्य प्रशांत:: लेकिन कुछ लोग हो सकते हैं जो अभी कैलकुलेट (हिसाब) कर रहे हों कि इससे फ़ायदा क्या हो सकता हैं। इंटरव्यू (साक्षात्कार) में बोलने के काम आएगा क्या? या ये सब बातें नोट (लिख) कर लो, फिर अपने नाम से गर्लफ्रेंड (महिला मित्र) को भेजेंगे तो इम्प्रेस (प्रभावित) हो जाएगी। तो वो फिर सुन ही नहीं सकते हैं। फिर उन्होंने मुझसे भी एनिमल रिलेशनशिप बना लिया। ग्रीड की रिलेशनशिप है।

एचआइडीपी इज़ नॉट एट ऑल अबाउट लीविंग एनीथिंग, इट इज़ जस्ट अबाउट हैविंग अ बेटर बेसिस ऑफ रिलेशनशिप ( एचआइडीपी कुछ छोड़ने के बारे में बिल्कुल नहीं है, यह बस एक बेहतर सम्बन्ध की बुनियाद बनाने के बारे में है)।

दोस्त को वही रहने दो, लेट द सेम पर्सन बी देयर बट बी रिलेटेड टू दैट फ्रेंड इन अ बेटर वे (वही व्यक्ति वहाँ हो, लेकिन उस दोस्त से बेहतर तरीके से सम्बन्धित हो)। फैमिली मेम्बर्स (परिवार के सदस्यों) को तुम अब बदल नहीं पाओगे इस जन्म में। उनको वही रहने दो पर उनसे अपनी रिलेशनशिप का आधार बदलो। अगर मैटेरियल (सामग्री) तरीके से, एनिमल तरीके से रिलेटेड (सम्बन्धित) हो तो ह्यूमन (मानवीय) तरीके से रिलेटेड हो जाओ। एचआइडीपी बस ये कह रहा है, कुछ छोड़ना नहीं है।

यहाँ पर साधू-सन्त बनाने वाली बात नहीं हो रही है। साथ ही साथ यहाँ कॉर्पोरेट स्लेव (कॉर्पोरेट गुलाम) बनाने वाली बात भी नहीं हो रही है। यहाँ एक तीसरी बात हो रही है। हम ज़्यादातर दो ही बातें समझ पाते हैं। एक तो वो जो आस्था चैनल पर आ रही हों या दूसरी वो, कुछ बिलकुल एक टिपिकल कॉरपोरेट प्रेजेंटेशन चल रही है जिसमें गुलाम बनाया जा रहा हो। एचआइडीपी इज़ नाइदर ऑफ़ द टू। इट इज़ समथिंग डिफरेंट। आर यू गेटिंग इट? इट इज़ जस्ट सेइंग लुक एट व्हाट इज़ हैपनिंग टू यू ( एचआइडीपी इन दोनों में से कोई नहीं है। ये कुछ अलग है। क्या तुम समझ रहे हो? यह बस कह रहा है कि देखो तुम्हारे साथ हो क्या रहा है)।

इट इज़ योर वन लाइफ़, बी केयरफुल, सी व्हाट यू आर डूइंग। वॉच आउट (ये तुम्हारी एक ज़िन्दगी है, सचेत रहो, देखो कि क्या कर रहे हो। सावधान रहो)। और ये सब टेंशन (चिन्ता) जगाने का तरीका नहीं है। द रिजल्ट ऑफ़ ऑल दिस इज़ अ सर्टेन लाइटनेस (इन सब का परिणाम एक तरह का हल्कापन)। जिनको ये सब बातें समझ में आती हैं न उनको पहली चीज़ ये मिलने लगती है कि ज़िन्दगी हल्की हो जाती है बहुत। जितना कुछ लोड लेकर चल रहे हो कई-कई टन का, वो लोड कम होने लगता है।

यू स्टार्ट फीलिंग लिटिल लाइटर (तुम थोड़ा हल्का महसूस करना शुरू करते हो)। बोझ सा नहीं रहता, फ्रस्ट्रेशन (निराशा) चिड़चिड़ाहट थोड़ी कम हो जाती है और जल्दी से डर नहीं जाते। किसी ने कुछ कह दिया और तुम, ‘हॉ!’ डर गये। मैच्योरिटी (परिपक्वता) आती है। अपने पाँव पर खड़ा होना सीखते हो, अपनी आँख से देखना सीखते हो।

ऐंड दैट मैच्योरिटी एक्सटेंड्स टू ऑल एस्पेक्ट्स ऑफ़ योर बीइंग (और वो परिपक्वता आपके होने के सभी पहलुओं तक फैल जाती है)। एकेडमिक लाइफ़, करियर, इन जनरल एवरीथिंग (शैक्षणिक, जीवन, करियर, और सामान्य रूप से सबकुछ)। फिर तुम पढ़ोगे भी तो बेहतर पढ़ोगे। फिर तुम करियर के फैसले लोगे तो बेहतर लोगे। फिर तुम इंटरव्यू (साक्षात्कार) में बैठोगे तो एक ज़्यादा मैच्योर इंडिविजुअल (परिपक्व व्यक्ति) की तरह बैठोगे। ज़िन्दगी एक अलग अन्दाज़ से जियोगे। एक शान होती है उसमें। एक हल्कापन होता है।

इट्स एज इफ़ अ पार्टी इज़ गोइंग ऑन। हाउ डू यू फील इन अ पार्टी? डू यू फील टेंस्ड? ऐंड इट्स अ कनि्टन्यूअस डांस दैट इज़ हैपनिंग। लाइट, जॉयफुल (ये ऐसा है कि एक पार्टी चल रही है। तुम एक पार्टी में कैसा महसूस करते हो? क्या तुम तनावग्रस्त महसूस करते हो? और ऐसा लगता है जैसे सतत् नृत्य चल रहा हो। हल्का, आनन्दमय)।

YouTube Link: https://www.youtube.com/watch?v=pjcLmEgghBI

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