सामने मंदिर हो, बगल में गंगा बह रही हो, लेकिन कुत्ता तो हड्डी ही चबाएगा, और वह भी सूखी।
अगर सुधरने की, बदलने की नियत ही ना हो तो कोई भी आपकी क्या मदद कर लेगा! गंगा के बगल में और मंदिर के सामने, आप हड्डी चबाते ही नज़र आओगे।
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