एक रात की हसरतें || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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एक रात की हसरतें || नीम लड्डू

विवाह के दिन हर लड़का, चाहे वह कितना भी बड़ा... (मूर्ख हो), घोड़ी पर तो चढ़ लेता है न? नहीं तो ऐसे तो उसको टट्टू भी अनुमति ना दे। टट्टू भी बोलेगा, “मैं तुझ पर चढूँ वो ज़्यादा शोभा देगा!” विवाह के दिन, एक-से-एक मूर्खानंद घोड़ी चढ़ने को पा जाते हैं। तो अगर घोड़ी चढ़ने के तुम्हारे अरमान हैं तो कर लो विवाह, मगर यह मत कहना कि उससे अकेलापन दूर हो जाएगा।

हाँ शादी का वीडियो बन जाएगा। और अब तो वो होता है न वो प्रीवेडिंग…

चलो, अब तुम शाहरुख खान हो और तुम काजोल हो। जितनी हसरतें हैं निकाल लो अभी सब। एक दिन के लिए ही सही हीरो-हीरोइन तो बन गए न। “हमारा भी एलबम बना, हमारी भी पिक्चर बनी!”

तुम्हारे भीतर जितनी भी हीन-भावना होगी उतना तुम चाहोगे कि एक दिन के लिए ही सही हम भी राजा-रानी बन जाएँ।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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