एक दिन कामयाब हो जाओगे || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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एक दिन कामयाब हो जाओगे || नीम लड्डू

जीवन परिवर्तन के लिए जिसको मैं कहता हूँ ठंडी उर्जा, शाश्वत उत्साह चाहिए। एक भीतर ऐसी हार्दिक प्रेरणा चाहिए जो दसों साल थमे नहीं, कमे नहीं, मिटे नहीं। गर्म जोश में वो बात होती ही नहीं है। गर्म जोश के खिलाफ़ तो सावधान रहा करिए, वो फ़िल्मी होता है।

“मैं आज तुम्हारे सर पर हाथ रखकर कसम खाता हूँ कि इस साल के अंत तक कम-से-कम बीस करोड़ इकट्ठा कर लूँगा और तुम्हारे बाप से तुम्हारा हाथ माँग लूँगा, भाग बरखा भाग!” – यह गर्म उत्साह है, पल भर की उष्मा है, अभी ठंडी पड़ जानी है।

यह लंबी यात्रा है, यह मैराथन की तरह है। इसमें ज़ोर से नहीं दौड़ते, बस दौड़ते ही रहते हैं, दौड़ते ही रहते हैं।

इसमें जीतता वो नहीं है जो तेज़ दौड़ा, इसमें जीतता वो है जो रुक नहीं गया।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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