दस चढ़े थे नाव पर, नौ ही क्यों उतरे? || नीम लड्डू

Acharya Prashant

2 min
51 reads
दस चढ़े थे नाव पर, नौ ही क्यों उतरे? || नीम लड्डू

वो कहानी याद है न कि दस जने उतरे हैं पीये हुए, किससे? एक नाव से उतरे हैं, ठीक है? अब वो गिनना चाहते हैं कि कोई एक रास्ते में टपक तो नहीं गया था नदी में। तो वो सब गिनना शुरू करते हैं, तो गिन रहे हैं कि भैया गिनो दस आ गए इधर कि नहीं आ गए। जो भी गिन रहा है, वही कितने गिन रहा है? नौ।

अब राघव (पास बैठे प्रश्नकर्ता) को गुस्सा आता है, बोलता है, “तुम सब अनपढ़ हो, मैं आइआइटी से हूँ, मै बताता हूँ।”वो गिनता है, बोलता है कि, “देखो मैं सही गिनती करूँगा।“ आते नौ ही हैं, फिर घपला करता है, कहता है, “नहीं दस हैं!” कहता है कि, “एक उधर गया झाड़ के पीछे।“

लेकिन तुम चालाकी कितनी भी दिखा लो, ग़लती तो वही है न जो आदमी (अहम्) हमेशा से करता आया है, क्या? ख़ुद को नहीं देखता। तो हम भी जब यह पूछते हैं कि, “दुनिया किसने बनाई?” तो यह नहीं पूछते कि, “इस दुनिया की बात करने वाला ‘मैं’ कौन हूँ? उसको भी तो पूछ लूँ उसको किसने बनाया?” तो बेटा तुम दोनों को साथ ही बनाया गया है, दुनिया को और दुनिया को देखनेवाले को। यही जोड़ा चल रहा है लगातार।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories