ब्रेकअप का दर्द || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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ब्रेकअप का दर्द || नीम लड्डू

हर आदमी अपनी नज़र में नाकाम आशिक़ बन कर घूम रहा है। बहुतों का तो ब्रेकअप तब हो जाता है जब उनका कोई अफ़ेयर भी नहीं था। कहो, “क्यों इतने उदास हो?” “ब्रेकअप हो गया है!” तेरा अफ़ेयर कब था भाई? पर ब्रेकअप में जो रुहानी आनंद है वो तो हिचिंग अप में भी नहीं है।

तो जिसको देखो वही घूम रहा होता है कि “अरे! वो थी हमारी और जो हमारी थी वो क्या उसका आसमानी रूप था, कतई ऐन्जल (फ़रिश्ता) थी, जान दिया करती थी हम पर!” और दो चार फिल्मी गाने लगा लो, कोई घटिया किस्म के, जिसमें वो सब हो कि मिलना भी ज़रूरी था, बिछड़ना भी ज़रूरी था और अपने ही आपको तुम जता लो कि “हाँ हाँ, मेरा बड़ा ज़बरदस्त अफ़साना था जो कि आसमानी ताक़तों की वजह से बीच में गड़बड़ हो गया है!” और फिर कहो “आहाहा!” देखो भाई आसमानी अफ़साने आसमान जैसी ऊँचाइयों वालों को ही मिला करते हैं, ठीक? सौ बात की एक बात याद रख लो।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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