बड़े आदमी की पहचान || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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बड़े आदमी की पहचान || नीम लड्डू

ग़लती मानना बहुत बड़े लोगों का काम है। छोटे आदमी की पहचान ही यही है कि वह अपनी ग़लतियों पर हमेशा पर्दा डालता नज़र आएगा। क्योंकि उसे छोटा ही रहना है, छोटा है छोटा रहना है। वह ग़लती पर बार-बार पर्दा डालेगा, स्वीकारेगा नहीं। बड़े आदमी को छोटा रहना नहीं है, वह छोटा फँस गया है, वो संयोगवश छोटा है पर उसका इरादा नहीं है छोटा रहने का। तो वह जहाँ-जहाँ जैसे-जैसे अपनी ग़लती देखता जाएगा वैसे-वैसे अपनी ग़लती उखाड़ता जाएगा। और यही तरीका होता है बड़ा होने का। अपने छुटपन को छुपाओ तो नहीं ही, सक्रिय रुप से उखाड़ते चलो। सौ में एक-आध लोग होते हैं जो अपनी ग़लतियाँ ही गिनते नज़र आते हैं, ये वो हैं जो अपनी ग़लतियों के आगे निकल जाते हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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