अतीत को भूल क्यों नहीं पाते हैं? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)

Acharya Prashant

6 min
270 reads
अतीत को भूल क्यों नहीं पाते हैं? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)

वक्ता : देवेन्द्र ने कहा कि अतीत हावी होने लगता है, स्मृतियाँ आक्रमण करने लगतीं हैं। देवेन्द्र ये बताओ, अतीत कहाँ है? तुम बैठे हुए हो अतीत कहाँ हैं? कहाँ है अतीत ? जो है सो अभी है, प्रस्तुत है।अतीत कहाँ है?

अतीत आक्रमण नहीं करता तुम अतीत को आमंत्रित करते हो। कहीं ना कहीं उसको बुला करके तुम्हें सुख मिलता है अन्यथा अतीत अपने आप नहीं घुसा चला आएगा, बिन बुलाया मेहमान। अभी यहाँ हम बैठै हुए हैं देवेन्द्र, मैं कह रहा हूँ तुम सुन रहे हो इसमें अतीत का काम क्या है? और अभी गुजरेगा ये क्षण अगला आयेगा उसमें भी जो है सो है, सामने है, प्रत्यक्ष , उसमें अतीत का काम क्या है ? सच तो ये है कि जो प्रस्तुत है उसकी अवेहलना करके तुम जानबूझ करके अतीत को बुलाते हो। रस ना मिल रहा होता तो अतीत कब का विस्मृत हो चुका होता।

एक प्रयोग करो तुम सभी।

अतीत की इतनी स्मृतियाँ हैं, अतीत में इतने क्षण बिताएं है तुम्हें उसमें से कौन- कौन याद से हैं? अच्छी खासी बड़ी सी उम्र हैं, इतने क्षण बिताएं हैं, उनमें से याद कितने हैं? तुम गौर करोगे तो पाओगे कि तुम्हे दो ही प्रकार के क्षण याद हैं या तो वो जिनमें बहुत सुख मिला है या वो जिनमें बहुत पीड़ा मिली है। अब तुम पूछो कि तुमको मात्र इन्ही प्रकार के दो क्षण याद क्यों हैं ? क्योंकि दोनों में ही अहंकार बल पाता है। सुख में तुम कहते हो ये वो था जो मैं चाहता था। जैसी मेरी इच्छा थी वो हुआ। अहंकार खुश। पीड़ा के पल में तुम कहते हो जो मैं चाहता था उसका विपरीत हो गया। और दोनों में ही एक बात केंद्रीय हैं मैं चाहता क्या था? अहंकार। मेरा होना। मन बिलकुल नहीं भुलायेगा।

तुम कह रहे हो कि अतीत हमला कर देता है। मैं कह रहा हूँ कि तुम बिलकुल भूलने ही नहीं दोगे। अपने सुख के क्षणों को, अपने दुःख के क्षणों को तुम कभी भूलने ही नहीं दोगे। तुम देखना घर परिवारों में, समाजों में कौन से क्षण हैं जो याद रखे जाते हैं? जो फोटो -अलबम होते हैं उनमें किन मौकों की फोटो सजा के रखी जाती हैं। और कुछ दूसरे क्षण होते हैं जिनकी कोई फोटो नहीं रखी जाती पर वो मन पर किसी घाव की तरह अंकित होते हैं। ये कौन से पल होते हैं? बच्चा पैदा हुआ है उसकी बहुत सारी फोटो रखी जायेंगी ताकि याद रहे और किसी की मृत्यु हो गयी है उसकी फोटो भले ही ना रखी जाए पर वो ज़ख्म मन पे बना रहेगा उसको भी नहीं भूलोगे तुम। वो छवि अंकित रह जायेगी। तुम भूलने दोगे नहीं क्योंकि उस स्मृति से ही अहंकार को पोषण मिलता है। मैं ये हूँ।

वर्तमान में डूब जाने पर तो अहंकार को तिरोहित होना पड़ता है। इसीलिए अहंकार को वर्तमान से कोई लेना देना नहीं। वो या तो अतीत में घूमता रहेगा या तो भविष्य में छलांग मारेगा। और बड़ा कुटिल है मन। वो मज़े भी लूटेगा वर्तमान में घूमने के और शिकायत भी करेगा | क्या ? अतीत में घूमने के वो मज़े भी लूट रहा है और शिकायत भी कर रहा है। क्या कह रहा है कि अतीत हावी है। देखो ना याद रखने का कितना अच्छा तरीका है। मैं भूलने की कोशिश कर रहा हूँ। और जिसको तुम भूलने कि कोशिश कर रहे हो उसको तुम और याद करोगे भूलने कि कोशिश कर कर कर। अब सीधे-सीधे तो ये कह नहीं सकते कि हम उसको याद कर रहे हैं, तो उसको याद करने का ये चोर दरवाज़ा निकाला है। कि देखो अभी हम क्या कर रहे हैं हम तुम्हें भूलने कि कोशिश कर रहे हैं। किसे भूलने की कोशिश कर रहे हैं ? तुम्हे। तो इसका अर्थ है याद किसको कर रहे है? तुम्हें । मन ऐसा है वो कुछ भी करके अतीत को पकड़ के रखना चाहता है, कभी याद कर कर के और कभी भुला कर कर के। वो अतीत को छोड़ ही नहीं देना चाहता। अतीत भी देखो ना मन पूरा नहीं याद रखता है। हमने कहा अतीत के दो ही पहलू हैं जो मन को पसंद हैं। गहरा सुख और गहरा दुःख। बाकी सब मन भुला देगा।

आज का ही दिन ले लो, सुबह से अब तक कितने क्षण बीत चुके हैं| तुम्हें कुछ याद नहीं होगा क्या क्या हुआ है। पर अगर कहीं सुख मिल गया है या दुःख कि घटना हो गयी है वो याद रहेगा। वरना बाकी सब विस्मृत होता जायेगा। अतीत, हम में मौज़ूद है | हमे याद रखने की कोई ज़रुरत नहीं है ना उसे भुलाने की कोई ज़रुरत है। तुम्हारा ये जो पूरा शरीर है ये अतीत से ही आ रहा है ,और ये मत समझना कि पिछले बीस-पच्चीस साल का ही अतीत है तुम्हारे पास। मानवता का पूरा अरबों वर्षों का अतीत तुममे मौजूद है। स बकुछ तुममे मौज़ूद है तुम्हे याद करने कि ज़रुरत नहीं है। वो एक डेटाबेस है जो उपलब्ध है। जब तुम्हें उसमें से वाकई कुछ चाहिए होगा, तो जो तुम्हें चाहिए होगा वो तुम्हें मिल जाएगा। कोशिश कर कर के मत याद करो। तुम मौज़ में जियो, तुम वर्तमान में जियो। ऐसा नहीं है कि अतीत को कहीं छोड़ दोगे तो वो कहीं खोजायेगा ,वो कहीं खो नहीं सकता ,वो है तुम्हारे साथ ही ,वो सदा उपलब्ध है। जब ज़रुरत होगी तो डेटाबेस को एक्सेस कर लेना। उसमें से जो चाहिए वो निकाल लेना। आश्वस्त रहो कि अतीत कहीं खो नहीं जायेगा।

ना अतीत कहीं खो सकता है ना भविष्य कहीं जा सकता है। दोनों वर्तमान में हीं हैं। अतीत भी अभी तुम्हारे साथ है और भविष्य भी अभी तुम्हारे साथ है। इन दोनों के बारे में तुम्हें चिन्ता करने कि ज़रुरत नहीं | दोनों ही अतीत और भविष्य तुम्हारे साथ अभी हैं तो तुम अभी में ही डूब लो। इतना ही काफी है।

-‘संवाद ‘ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories