People and Society

नमाज़ क्या? सलाम का अर्थ क्या? वेदांत के प्रकाश में
नमाज़ क्या? सलाम का अर्थ क्या? वेदांत के प्रकाश में
35 min
जितनी भी विधियाँ दी जाती हैं, वो जो हम कचरा इकट्ठा कर लेते हैं दिमाग़ में न, उसको साफ़ करने की विधियाँ हैं। सत्य को पाने की तो कोई विधि आज तक बनी नहीं। और विधि बनाने की कोई ज़रूरत भी नहीं है क्योंकि वो चीज़ पाने की है भी नहीं।
Gen Z: ये फालतू किस्से नहीं सुनते, इन्हें सच बताओ
Gen Z: ये फालतू किस्से नहीं सुनते, इन्हें सच बताओ
34 min
जो लोग धर्म की रक्षा की बात करते हैं, मैं उनको बड़ा एक हार्दिक संदेश देना चाहता हूँ। देखो, धर्म की रक्षा करना चाहते हो तो धर्म में जितने भी तरह के दूषण हैं — पाखंड है, अंधविश्वास है, गप्पबाज़ी है, भेदभाव है, फिजूल के रीति-रिवाज हैं, ये सब निकाल फेंको, सिर्फ़ तभी धर्म बचाया जा सकता है — वास्तविक धर्म। और, वास्तविक धर्म को बचाना पड़ेगा। क्योंकि वास्तविक धर्म अगर नहीं बचा, तो फिर इंसान भी नहीं बचेगा।
'रेप कल्चर' है हमारे समाज में?
'रेप कल्चर' है हमारे समाज में?
22 min
जो हमारी पूरी संस्कृति ही है ना, वो कहीं ना कहीं ऐसी है कि वो रेप को मान्यता दे रही है। बस वो कहती है, "इतने ज़्यादा ना हो, इतने विभत्स ना हो।" क्यों? क्योंकि उसके केंद्र में ही ये बात बैठी हुई है कि महिला के जीवन का मुख्य काम सेक्सुअल है। और जब तक ये बात रहेगी, तब तक जिसको आप टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी कहते हो वो भी रहेगा।
महिलाओं के प्रति छुपी हुई हिंसा
महिलाओं के प्रति छुपी हुई हिंसा
7 min
एक बार में किसी को मार दो, तो दिखाई पड़ता है — ‘हत्या हो गई,’ पर धीरे-धीरे करके किसी को कुपोषण से मार दो, तो थोड़ी पता चलेगा। भारत में आधे से ज़्यादा महिलाएँ एनीमिया, आयरन डेफिशिएंसी से पीड़ित हैं। उनको ठीक से खाने को ही नहीं दे रहे। हिंसा लगातार हो रही है, लेकिन हम चौंकते सिर्फ़ तब हैं, जब बलात्कार या हत्या हो जाती है। ये सब प्रेम की कमी है और कुछ नहीं। हमें बुनियाद से ही कुछ चीज़ें बदलनी पड़ेंगी।
जाति है कि जाती नहीं
जाति है कि जाती नहीं
35 min
श्रुति ने कहा है — आप जन्म से ब्राह्मण नहीं हो जाते। श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में ब्राह्मण की तो बड़ी ऊँची परिभाषा बताई है — कहते हैं कि जो असली ज्ञानी होता है, वो तो ब्राह्मण, चांडाल, कुत्ते, गाय — सबको एक दृष्टि से देखता है। जाति का रिश्ता देह से ही बताया जाता है, और अध्यात्म इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वो सीधे-सीधे देह-भाव पर ही सवाल उठाता है। जब तुम देह नहीं, तो तुम्हारी जात कैसे हो सकती है?
Middle East: Wolves will Hunt, and Pythons will Swallow
Middle East: Wolves will Hunt, and Pythons will Swallow
11 min
There is no morality really there. Though, being human beings, you want to frame it in moralistic terms. We want to kind of pretend that the action has some kind of moral basis to it. But there is no moral basis. Really, there is no moral basis.
विज्ञान: मानना नहीं है, पता करना है
विज्ञान: मानना नहीं है, पता करना है
14 min
विज्ञान में एक गरिमा है, वहाँ पर हर चीज़ झुठलाई जा सकती है। विज्ञान कहता है — कुछ भी मानो मत, कहो कि ‘पता करेंगे।' हिन्दुस्तान को इस दृष्टिकोण की ख़ास ज़रूरत है — मानना नहीं है, पता करना है। विज्ञान में एक-से-एक कहानियाँ हैं, वो कहानियाँ आपको पता चलें, आप वैज्ञानिकों के मुरीद हो जाएँगे। आकाश-गंगा पार कर जाएगा ये देश, पर पहले यहाँ के बच्चों में विज्ञान के प्रति आदर तो पैदा करिए।
Difference between science and technology
Difference between science and technology
5 min

Question: What is the difference between science and technology? What is science? Where does science come from? Is science the mother of technology? Is science the logic behind technology?

Answer: Science comes from direct observation of the fact. One pays attention to the thing right in front. One looks deeply

Science, Pseudoscience, and the Power Within
Science, Pseudoscience, and the Power Within
11 min
We have gathered a lot of things that make us powerless—like the concepts you’re talking about. Those concepts make you powerless. Once you get rid of those concepts, you are the superpower. That superpower in the Sanatan philosophy is called the self, Atma. That’s the shruti that all Puranic literature, all Smriti, is supposed to submit itself to. The only superpower is the self, Atma—me. There is no other superpower."
चाँद से आगे ले गया भारत को चंद्रयान || आचार्य प्रशांत, चंद्रयान-2 पर (2019)
चाँद से आगे ले गया भारत को चंद्रयान || आचार्य प्रशांत, चंद्रयान-2 पर (2019)
31 min

प्रश्न: आचार्य जी प्रणाम। हाल ही में एक घटनाक्रम हुआ, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चंद्रयान-२ प्रक्षेपित किया गया। पूरे विश्व की उसपर नज़रें थीं। यह भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से एक बहुत बड़ा कदम था। बिलकुल अंतिम क्षणों में भारतीय वैज्ञानिक इस पूरे मिशन में थोड़ी सी

चाँद पर चंद्रयान, और मन में अज्ञान? || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2023)
चाँद पर चंद्रयान, और मन में अज्ञान? || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2023)
47 min

प्रश्नकर्ता: सर,आज शाम को चन्द्रयान सफ़लतापूर्वक चाँद पर लैंड (उतरना) कर गया है। हमें भी बहुत खुशी है और पूरा देश भी बहुत खुश है। इस पर आपकी प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे?

आचार्य प्रशांत: खुशी की बात तो है ही, और बहुत ज़रूरी था कि सुर्खियों में कोई वैज्ञानिक घटना आये,

जाति-प्रथा कैसे मिटेगी?
जाति-प्रथा कैसे मिटेगी?
18 min
जाति मानसिक कल्पनाओं और अंधविश्वासों में होती है। आप जैसे ही समझने लग जाते हो कि जाति सिर्फ़ मन का खेल है, फिर जाति पीछे छूटती है। जाति को दो ही चीज़ें तोड़ सकती हैं — पशुता या चेतना। जो ऊँचा उठ गया, वो भी जाति का ख़्याल नहीं करता और जो एकदम गिर गया, वो भी जाति का ख़्याल नहीं करता। अध्यात्म कहता है, सबको इतना उठा दो कि सब एक बराबर हो जाएँ। अध्यात्म ही जाति-प्रथा को मिटा सकता है, और कुछ नहीं।
तीर्थयात्रा के नाम पर मज़ाक
तीर्थयात्रा के नाम पर मज़ाक
8 min
तीर्थ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर हैं और पूरे रोपवे बना दिए गए हैं, खच्चर-घोड़े पर अत्याचार करके वहाँ तक जाते हैं — ये पशुपति के प्रेम का प्रतीक है? तीर्थ वहाँ स्थापित किया गया था कि जा सकते हो अगर, तो पैरों पर चलकर जाओ। यह रेगुलेट होना चाहिए, चार-चार महीने की वेटिंग लगनी चाहिए ताकि जो सचमुच गंभीर हो, वही लोग जाएँ। पहाड़ के लोगों को सब्सिडीज़ दो, उनकी ज़िंदगी आर्थिक रूप से भी बेहतर हो जाएगी लेकिन पहाड़ क्यों बर्बाद कर रहे हो?
The Israel–Iran Case: A Religious Struggle
The Israel–Iran Case: A Religious Struggle
12 min
What’s happening in the Israel–Iran case is mostly about religion. Israel–Iran relations were far more cordial until 1979, when Iran got a new Islamic constitution, and Iran declares Israel as the “Little Satan” because Israel is a Jewish country. Had both these countries been Muslim, would there be a strife? Had both these countries been Jewish, again, would there be a strife? But we want to close our eyes to the bare fact that religion gone wrong is the worst thing possible to human beings.
Ahmedabad Plane Crash: Why Are the Airport and Hospital Side by Side?
Ahmedabad Plane Crash: Why Are the Airport and Hospital Side by Side?
18 min
It is the most critical moment for the plane, when it is taking off. Even after that, if we are constructing something as sensitive as a hospital right next to the airport — then only God can help. This can only be found in India — where there's an airport, and right next to it are buildings, and we accept it. Until we understand that living with dignity is more important, we will keep finding it acceptable to sell off our safety and self-respect.
अहमदाबाद प्लेनक्रैश: एयरपोर्ट और हॉस्पिटल अगल-बगल क्यों?
अहमदाबाद प्लेनक्रैश: एयरपोर्ट और हॉस्पिटल अगल-बगल क्यों?
21 min
प्लेन के लिए सबसे नाज़ुक क्षण होता है, जब वो टेकऑफ़ कर रहा होता है। उसके बाद भी हम वहाँ पर हॉस्पिटल जैसी सेंसिटिव चीज़ बना रहे हैं — फिर तो राम ही मालिक है। ये अद्भुत बात भारत में ही पाई जा सकती है — कि ये रहा एयरपोर्ट, और एयरपोर्ट के बिल्कुल बगल में बिल्डिंग है, और कोई सवाल भी नहीं उठाता। जब तक हम समझेंगे नहीं कि गरिमा के साथ जीना ज़्यादा ज़रूरी है, तब तक हम अपनी सुरक्षा, अपना आत्मसम्मान — सब बेचना गवारा करते रहेंगे।
Shivling: Understanding Before the Debate
Shivling: Understanding Before the Debate
28 min
Now comes the deeper symbolism of Shivlinga. It says—look, if you have taken birth, then you are there in the body. But even while living in the body, you have to live as if you are without a body. So, the shape of the Yoni that you see in the Shivalinga is actually the world or the body, and this Lingam that you see in the middle of it is the Consciousness—the Consciousness which is located in the body.
लड़के छेड़ते हैं, क्या शादी कर लूँ?
लड़के छेड़ते हैं, क्या शादी कर लूँ?
16 min
जीवन में कोई श्रीकृष्ण जैसा ही आ जाए, तो बिल्कुल करो शादी, पर ये कोई वजह नहीं है कि 'मैं निकला करती थी, मुझे लड़के छेड़ते थे, तो मैंने शादी कर ली।' यदि कोई छेड़छाड़ करे, तो विरोध करो, मार्शल आर्ट्स सीखो, इतनी मज़बूत बनो कि एक लगाओ अच्छे से। लेकिन इसके बावजूद भी कोई छेड़ के चला गया, तो उसे बहुत भाव मत देना, क्योंकि यह इतनी बड़ी बात नहीं कि इसकी वजह से ज़िन्दगी के निर्णय बदल दिए जाएँ।
Why Do We Treat Women as Property?
Why Do We Treat Women as Property?
12 min
It is our animal tendency to be territorial and to really want to control the other gender — so that we can maximize our own pleasure. When you own something, then there is a sense of security and that's why men want to control women's sexuality. You can dispel that by understanding that you can have no lasting pleasure by owning anything — including a person of the other gender.
बॉलीवुड में अच्छी फ़िल्में क्यों नहीं बनतीं?
बॉलीवुड में अच्छी फ़िल्में क्यों नहीं बनतीं?
18 min
राज कपूर ने फ़िल्म बनाई — 'मेरा नाम जोकर', दिल से बनाई हुई फ़िल्म थी वो और दो दिन नहीं चली क्योंकि हमें दिल से नफ़रत है जबकि एक घटिया फ़िल्म 800-1000 करोड़ कर जाती है। हम जैसे हैं, वैसी हमारी फ़िल्में होती हैं। आज लोगों को न समझदारी चाहिए, न दिल से उठे हुए गीत चाहिए। बदलाव हम में आएगा, तो ही हमारी फ़िल्में बदलेंगी। कोई फ़िल्म अच्छी लगी है, तो ख़ुद उसके प्रचारक बनो। अगर सब तक नहीं पहुँचाओगे, तो अगली बार वैसी कोई फ़िल्म बनेगी भी नहीं।
क्रिकेट के नशे ने ली 11 लोगों की जान: बेंगलुरु स्टेडियम त्रासदी
क्रिकेट के नशे ने ली 11 लोगों की जान: बेंगलुरु स्टेडियम त्रासदी
14 min
11 लोगों की जानें गई हैं, और टीम में भी 11 ही लोग होते हैं। टीम के 11 लोग जान देने को तैयार होंगे? उनसे कहा जाए कि, “साहब, 1 लाख फैन बच जाएँगे अगर आप में से एक खिलाड़ी जान दे दे,” — वह तब भी न तैयार हो जान देने को। तुमको ये दुनिया समझ में नहीं आ रही है। यहाँ तुम्हें जो दिखाया, सुनाया जा रहा है — पर्दे के पीछे उससे बिल्कुल विपरीत चल रहा है। जिसकी जो भी छवि तुम्हारे सामने आ रही है, वो एक बनावटी छवि है, ताकि तुम्हारा शोषण होता रहे। वो प्लेयर्स नहीं हैं, वो परफ़ॉर्मर्स हैं, और तुम परफॉर्मेंस को ट्रुथ समझ रहे हो।
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री: हवस और हिंसा
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री: हवस और हिंसा
20 min
उत्तर भारत, विशेषकर बिहार वो जगह है जहाँ न पैसा है, न शिक्षा है, पर कामना में कोई कमी नहीं है। हमने ये धारणा बना ली है कि जो कुछ भी पाना है, वो या तो शरीर से, या मानसिक कल्पना, अंधविश्वास और मन्नत माँगने से मिल जाएगा। आप गरीब और अशिक्षित हो — घर आते हो, बच्चों को मारते-पीटते हो और पत्नी का बलात्कार करते हो, वही चीज़ फिर फिल्मों में आ जाती है। शिक्षा और वास्तविक धर्म की ज़रूरत है। जिस दिन सचमुच ही साक्षर होने लग गए हमारे यूपी, बिहार, उस दिन भारत का और पूरी दुनिया का नक्शा बदल जाएगा।
बकरीद में 'कुर्बानी' का वास्तविक अर्थ क्या है?
बकरीद में 'कुर्बानी' का वास्तविक अर्थ क्या है?
19 min
धर्म के केंद्र में करुणा बैठी है। यह सही हो ही नहीं सकता कि धर्म के नाम पर जानवर की बलि दी जाए। बात यह है कि आदमी भी बहुत हद तक पशु ही है। आपकी बेहतरी के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा आपके भीतर का जानवर है। उस भीतर के जानवर की कुर्बानी देनी होती है। बाहर के जानवर को मारकर और उसका माँस खाकर आप भीतर के जानवर को ही और बलवान बना रहे हो। जबकि बकरीद की कहानी का मर्म है — “चेतना के ऊँचे उद्देश्यों के लिए अपने भीतर की पाशविकता को पीछे छोड़ो।”
बकरीद: कुछ आँकड़े, और एक आग्रह || आचार्य प्रशांत (2023)
बकरीद: कुछ आँकड़े, और एक आग्रह || आचार्य प्रशांत (2023)
79 min

प्रश्नकर्ता१: नमस्ते सर। सर, बकरीद आने वाली है तो कल ही मेरे दोस्तों से मेरी बात हो रही थी व्हाट्सएप पर। तो उन्हें मैंने बोला कि भई इस बकरीद पर आप बकरा मत काटना — वो हर बकरीद पर काटते हैं।

तो उन्होंने मुझे सीधा ये बोला कि भाई, हम

बाल उत्पीड़न को कैसे रोकें?
बाल उत्पीड़न को कैसे रोकें?
17 min
हम सोचते हैं, आदमी कितना भी बुरा हो, अपने घर वालों के लिए तो अच्छा ही होता है — ऐसा नहीं होता। जो दुनिया के लिए बुरा है, वही घर पर फिर चाइल्ड मॉलेस्टेशन भी करता है। इसीलिए बच्चों का सबसे ज़्यादा शोषण परिवार के भीतर ही होता है। आज ऑनलाइन अब्यूज़, ऑनलाइन कचरा आपके घर की दीवारें बिल्कुल लाँघ करके आपके घर आ रहा है। सब के विरुद्ध एक ही सुरक्षा है — अध्यात्म। बच्चे ने अगर उपनिषदों सरीखे कुछ मूलभूत सवाल पूछने सीख लिए, तो फिर कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
Is Religion Merely Superstition?
Is Religion Merely Superstition?
11 min
Religion concerns itself with ‘Ego and its liberation!’ That’s all. In the name of religion, if you are talking about planets and stars, about fruits and vegetables, wear this, don’t wear that, eat this, don’t eat that, the house should face this direction, and a thousand other things that you associate with it, then all that is some kind of tribal superstition. Religion has nothing to do with these things.
औरतों का श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है?
औरतों का श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है?
26 min
जहाँ कहीं भी जीवन की सच्चाई सामने आती हो, वहाँ तो हमें विशेष कर जाना चाहिए; श्मशान में वो ज़्यादा साफ़ दिखाई पड़ता है। श्मशान जाकर पता चलता है कि शरीर तो राख जैसी चीज़ है। जो इस बात को जान गया, वह आज़ाद हो जाता है। महिलाओं को वहाँ जाने से वही रोकेगा, जिसका महिलाओं को गुलाम बनाए रखने में स्वार्थ होगा। जो मृत्यु को नहीं समझा, वो मरे-मरे जीता है। जो महिलाओं का मित्र होगा, वो उससे कहेगा कि आओ, मृत्यु को समझते हैं, मृत्यु बहुत ज़रूरी है।
If you want security in life
If you want security in life
5 min

Acharya Prashant (AP) : The Ego wants to hedge its bets. Because it is born in insecurity and gains its sustenance from insecurity, therefore insecurity is its very life-stuff. Now look what happens, if insecurity is the life-stuff of the Ego then what kind of security will it seek? It

मिड-डे मील: शिक्षा का सहारा या विकल्प?
मिड-डे मील: शिक्षा का सहारा या विकल्प?
8 min
बच्चे के भीतर ये भाव होना चाहिए कि जो मुझे ये दे रहा है इसलिए दे रहा है, क्योंकि ये मेरा हक़ है। मुझे भीख नहीं दी जा रही है, हक़ दिया जा रहा है। और जैसे ही उसको ये आ जाएगा ना कि माई-बाप सरकार है। मेरे माई-बाप मुझे दाल-चावल नहीं दे पाए पर देखो, स्कूल आता हूँ, तो सरकार मुझे दाना-पानी दे देती है। तो फिर उसका सर झुक जाएगा। ये जो रीढ़ है ना, इसका सीधा रहना, तने रहना बहुत ज़रूरी होता है।
देसी युवा, इज़राइल और हमास - जलवे धर्म के
देसी युवा, इज़राइल और हमास - जलवे धर्म के
18 min
धर्म का अर्थ होता है गहरी, अथक, निर्मम जिज्ञासा। सत्य से पहले कहीं भी ना रुकने का नाम धर्म है। भारत को ही नहीं पूरे विश्व को आज सच्चे धर्म की अध्यात्म की बहुत-बहुत जरूरत है। हम जहाँ खड़े हुए हैं वहाँ पर धर्म के अलावा अब पूरे विश्व को कोई नहीं बचा सकता।
राष्ट्रों के बीच द्वेष, और 'वसुधैव कुटुम्बकम्'
राष्ट्रों के बीच द्वेष, और 'वसुधैव कुटुम्बकम्'
22 min
सच्चाई के लिए जब प्रेम होता है, सफाई के लिए जब प्रेम होता है तो आदमी फिर गंदगी के तथ्य को नकारता नहीं है वो कहता है हम देख पा रहे हैं कि बहुत गंदगी है। साफ करेंगे। बच्चे हों या बड़े हों सबको समझाना पड़ेगा कि विविधता एक बात होती है विविधता को विषमता मत बनाओ। दो अलग हैं इसका मतलब ये नहीं है कि उनमें से एक श्रेष्ठ है, एक हीन है। और अगर कुछ श्रेष्ठ कुछ हीन तुम्हें लग भी रहा है तो पहले देखो कि क्यों लग रहा है? श्रेष्ठता और हीनता का आधार बता दो?
फुले, अंबेडकर, मनुस्मृति और महिला: कुछ जलते हुए सवाल
फुले, अंबेडकर, मनुस्मृति और महिला: कुछ जलते हुए सवाल
77 min
असल में स्त्रियों दलितों की क्या दुर्दशा थी? जिन्हें हम शूद्र कहते हैं वो आबादी का 40 से 50% हैं। 10-12% एससी और एसटी हैं, जिनको अछूत कहा गया, अनटचेबल कहा गया तो 70% तो यही हो गए और बाकी 30% में भी आधी स्त्रियाँ हैं। तो माने 85 से 90% लोगों की दुर्दशा थी। अब ये मानना हमारे स्वाभिमान को बड़ी चोट पहुँचाता है कि हमने अपने राष्ट्र का ये हाल कर रखा था। तो हम आँख मूंद लेना चाहते हैं। हम ऐसा अभिनय करना चाहते हैं कि जैसे बस सब कुछ बड़ा अच्छा-अच्छा था हमारे अतीत में।
कृष्णमूर्ति, फ्रायड, न्यूटन: इनमें कुछ समानता है क्या?
कृष्णमूर्ति, फ्रायड, न्यूटन: इनमें कुछ समानता है क्या?
7 min
वैज्ञानिक का काम है — मलहम तैयार करना, तरह-तरह के रसायनों का इस्तेमाल करके। लेकिन विज्ञान अपने आप में ये नहीं कहेगा कि इस मलहम को अब ले जाओ और लोगों को लगाओ। विज्ञान कहेगा: “ये मलहम तैयार है।” अब इसके बाद कोई चाहिए — जिसको मुक्ति की या करुणा की क़द्र हो और वो उसको ले जाकर के लोगों को मलहम लगा दे।
Can You Truly Have Privacy in a Digital World?
Can You Truly Have Privacy in a Digital World?
12 min
The systems that we have — they are very easily controllable, which means there will be greater power in the hands of those owning the tech companies. As technology progresses, everything that you do is going to be watched. So, there is no way you will have privacy — or at least an assurance of privacy — of the old kind. The only thing that can safeguard you is a clean inside. You need not have stuff that you have to very, very diligently guard and that makes you vulnerable. Only that can help you.
‘धर्मो रक्षति रक्षितः' यदि सच है, तो इतने महापुरुष मारे क्यों गए?
‘धर्मो रक्षति रक्षितः' यदि सच है, तो इतने महापुरुष मारे क्यों गए?
32 min
धर्म आपके शरीर की रक्षा थोड़ी करेगा। रक्षा शब्द की जब बात आती है तो ये समझना पड़ेगा कि आपको बड़ा ख़तरा क्या होता है। ख़तरे के संदर्भ में ही रक्षा शब्द का कुछ अर्थ है ना। ख़तरा हो तभी रक्षा की बात होती है। ख़तरा ही नहीं तो रक्षा शब्द अर्थहीन है। हाँ तो सबसे पहले तो ये जानना पड़ेगा कि हमें ख़तरा क्या है? एक मनुष्य को सबसे बड़ा ख़तरा क्या है? क्या मृत्यु? क्या किसी इंसान को सबसे बड़ा ख़तरा ये होता है कि उसका शरीर गिर जाएगा, मृत्यु हो जाएगी — ये होता है? किसी इंसान को सबसे बड़ा ख़तरा ये होता है कि मृत्यु आने से पहले वो मुक्त नहीं हो पाएगा। ये होता है ख़तरा।
पाकिस्तान के पागलपन की वजह: दो राष्ट्र सिद्धान्त (Two Nation Theory)
पाकिस्तान के पागलपन की वजह: दो राष्ट्र सिद्धान्त (Two Nation Theory)
25 min
भारत का विभाजन हुआ था राजनीतिक तौर पर। मोहम्मद अली जिन्ना का यही तर्क था। वो कहते थे कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग कौमें नहीं हैं, ये दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। कहते थे कि ये लोग बिल्कुल अलग-अलग हैं। और चूँकि ये अलग-अलग राष्ट्र हैं, इसलिए इन्हें अलग-अलग राज्य भी बना देना चाहिए।" तो राष्ट्र किस आधार पर? चुन लिया कि धर्म के आधार पर हम चुनेंगे। और जो आप कह रहे हैं कि जड़ उसकी — यही लड़ाई है — आज तक।
बात तो सीधी है
बात तो सीधी है
41 min
हमारा सौभाग्य भी है दुर्भाग्य भी, जो बेचैनी मनुष्य के मन में रहती है वो और कहीं नहीं पाई जाती। पशुओं को आप उनकी प्राकृतिक व्यवस्था के अनुसार आहार और चीज़ें दे दीजिए — वो अपना संतुष्ट पड़े रहते हैं। लेकिन मनुष्य का मन कुछ तलाश रहा है। धर्म का अनिवार्य संबंध उस तलाश से है और क्या तलाश रहा है हमारा मन? अगर बेचैन है हमारा मन, तो स्पष्ट सी बात है — चैन तलाश रहा है। अशांत है, तो शांति तलाश रहा है। उलझन में है, तो सुझाव तलाश रहा है।
Why Do Superhero Movies Work?
Why Do Superhero Movies Work?
11 min
All of us within have a point, a corner that loves excellence. Mediocrity might be useful, but mediocrity cannot be loved. The Superman really is the highest potentiality resting within each of us. So, instead of that real Superman, we create, draw, and imagine caricatures of Superman in the form of superhero movies. Being the Superman is not entertainment, it is sacrifice, it is penance, it is austerity, it is Tapasya in the real sense.
Who are You Without the Algorithm?
Who are You Without the Algorithm?
17 min
We were always algorithmic. We were always driven by instruction manuals. There was always some preset logic — inauthentic logic, borrowed logic — behind our conduct. And that’s why all that could be taken, consolidated, and put in the form of a code. Otherwise, where would the code come from?
Social Media: The Algo Wants to Fool You, Beat the Algo
Social Media: The Algo Wants to Fool You, Beat the Algo
25 min
Yes, social media does popularize, does globalize. The question is what? What? Not the things that would elevate human consciousness but the things that would debase you. Why? Because biologically in the evolutionary sense we are animals. No? And the first instinct is towards very primitive kinds of pleasures. Even the greatest of intellectuals, you might find them struggling to manage their diabetes. You see, he's a great intellectual. Yet the jungle within, the animal within is still very powerful.
War and Woman
War and Woman
30 min
Genghis Khan — he was fighting wars all his life. Somehow, he spared India. But the rest of Asia and some parts of even Europe — he totally vandalized. Vandalized to the extent that a very high percentage of people in Central Asia to this date carry his genes. He impregnated so many women. That seemed to be one of his major motivations: "If I win the war, I get to impregnate the women. Forty in a day." Imagine — entire populations bear the stamp of his genes. War and women—they always go together. Because they come from the same center.
हिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन? || (2021)
हिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन? || (2021)
38 min

का जाति:। जातिरिति च। न चर्मणो न रक्तस्य न मांसस्य न चास्थिनः। न जातिरात्मनो जातिर्व्यवहारप्रकल्पिता॥१०॥

शरीर (त्वचा, रक्त, हड्डी आदि) की कोई जाति नहीं होती। आत्मा की भी कोई जाति नहीं होती। जाति तो व्यवहार में प्रयुक्त कल्पना मात्र है।

~ निरालंब उपनिषद (श्लोक क्रमांक १०)

आचार्य प्रशांत: आज जो

The Foundation of the Indian Nation
The Foundation of the Indian Nation
9 min

Questioner: Acharya Ji, in few days, Republic Day—that is, the 26th of January— will be celebrated, and the work that Foundation is doing is very closely linked with 'The Youngsters'. So, I wish to ask you in what ways the youngsters of today have lost love for the Nation?

Acharya

लड़कों में कुछ खास है, जो लड़कियों में नहीं' ||
लड़कों में कुछ खास है, जो लड़कियों में नहीं' ||
19 min
अगर लड़की इतनी ही बुरी चीज़ है, तो आप क्यों लड़की हो? वो माँ, जो लड़का पैदा करने के लिए इतनी आतुर हो रही है, सबसे पहले तो जाकर के उसको *चेंज* (परिवर्तन) करना चाहिए। उसका इसको, इसको पुरुष बनाओ क्योंकि इसे स्त्रियों से तो नफ़रत है।और ऐसे जो पिता जी हैं जिनको लड़कियों से इतनी नफ़रत है कि उनको लड़का ही चाहिए। सबसे पहले तो उनके आसपास, इर्द-गिर्द जितनी भी महिलाएँ हों, सबको उनसे दूर किया जाये।
Why does mainstream education neglect wisdom studies? || IIT Kanpur (2020)
Why does mainstream education neglect wisdom studies? || IIT Kanpur (2020)
27 min

Questioner: Sir, I have been reading Krishnamurti and Vivekananda for the past three years and having learned from them, I genuinely feel that the teachings of such great teachers should be at the core of our education system. I personally feel that my decisions regarding my career and life would

Hijab and Burqa - choice and controversy || Acharya Prashant, at Delhi University (2023)
Hijab and Burqa - choice and controversy || Acharya Prashant, at Delhi University (2023)
5 min

Questioner (Q): Good evening, sir. My question is, recently there were huge protests going on in Iran against the imposition of the hijab . There were many people who talked about the hijab as an imposition on women; while others, including women, consider it to be their right of choice—whether

दुनिया की गंदगी से बचा लो इन बच्चों को
दुनिया की गंदगी से बचा लो इन बच्चों को
25 min
ये दुनिया बहुत गंदी है, बच्चे को ऐसे बड़ा करना होता है कि दुनिया का एक भी छींटा उस पर न पड़े। पागल-से-पागल माँ-बाप वो हैं, जो टीवी लगाकर बच्चे को सामने बैठा देते हैं या फिर आपस में बहस कर रहे होते हैं दुनियादारी की। बच्चे को ऊँची-से-ऊँची बातों का — सही किताबें, डॉक्युमेंट्रीज़, ई-बुक्स — इनका एक्सपोजर दीजिए। एक ऐसा बच्चा आपने निकाल दिया, तो वो सूरज की तरह चमकता है, पता नहीं कितनों को रोशनी दे देगा।
इस्लाम और आतंकवाद: समस्या और समाधान
इस्लाम और आतंकवाद: समस्या और समाधान
37 min
पुरानी कबीलाई रवायतें और इस्लामिक दर्शन — ये दोनों बातें आपस में गुथ गई हैं। बहुत सारी चीज़ें, जिनको आम मुसलमान मज़हब समझता है, वो वास्तव में बस अरब की प्रथाएँ हैं। धर्म के नाम पर जो चल रहा है, वो हज़ारों-लाखों लोगों की मौत बन रहा है। इसके प्रतिरोध में पूरी दुनिया कट्टर होती जा रही है। संसद, न्यायालय, कार्यालय, शैक्षिक संस्थाएँ — हर जगह से मुसलमान नदारद है। इस पिछड़ेपन का कारण अशिक्षा और ग़रीबी है। इसे दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश चाहिए — विज्ञान, इतिहास, तर्क में शिक्षा चाहिए।
Democracy at a Crossroads: Rethinking Delimitation in India
Democracy at a Crossroads: Rethinking Delimitation in India
5 min
It is not too late to make the corrections. Instead of plunging headlong into the redistribution of Lok Sabha seats, India can follow a gradual, equitable path. Increased size of state legislatures can be utilized for intra-state representation without disturbing federal balance. North Indian states should be provided 20–30 years to raise their human development indicators before the national representation is redistributed.
नए साल पर क्या संकल्प लें?
नए साल पर क्या संकल्प लें?
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जो लक्ष्य हमें एक विशेष परिस्थिति ने, एक विशेष दिन ने दिए होते हैं, उसके प्रति लिए गए संकल्प भी उस परिस्थिति और दिन के बीतते ही स्वयं भी बीत जाते हैं। जीवन का एक ही लक्ष्य हो सकता है – अपने तक वापस आ जाना। ऐसे संकल्प लें जो हर पल होश बनाए रखने में सहायक हों। ग्रंथ अध्ययन, कला, खेल, पर्यावरण और पशुओं के प्रति जागरूकता, दुनिया के बारे में समझ; ये सभी संकल्प हैं जो आपके निर्भीक और मुक्त जीवन की ओर एक नई शुरुआत करेंगे।