Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
Speaking tree2 मई 2023
ये 4 संकेत बताते हैं कि हम ‘माया’ के गुलाम बन चुके हैं
स्पीकिंग ट्री के इस लेख में इला गोस्वामी आचार्य प्रशांत की पुस्तक 'माया' पर लिखती हैं। वे बताती हैं कि अक्सर हम सभी मनुष्यों के चित्त में उठने वाले सवाल एक जैसे ही होते हैं क्योंकि हम सभी आसपास जो महसूस कर रहे हैं, जिन चीज़ों के साथ हमारा तालमेल है और जिस सोच के साथ हम आगे बढ़ रहें हैं, वह सभी एक ही फैक्टर से प्रभावित होता है, वह है ‘माया’।
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अमर उजाला26 अप्रैल 2023
सकारात्मक सोच और प्रेरणा से हर मुश्किल आसान
अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि सकारात्मक सोच और प्रेरणा से जीवन की कठिनाइयों को आसानी से हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच का प्रभाव हमारे कार्यों और परिणामों पर पड़ता है। हर स्थिति में प्रेरित और सकारात्मक रहने से हम अपनी क्षमताओं को पहचानते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
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अमर उजाला19 अप्रैल 2023
अपनी कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाएँ
अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि खुद को बेसहारा समझने की बजाय आत्मविश्वास के साथ सिर उठा कर जीना सीखें। आत्मनिर्भरता से जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अपनी कमजोरियों को पहचानकर उन्हें अपनी ताकत बनाएं। सही दृष्टिकोण और मेहनत से कोई भी कमजोरी ताकत में बदल सकती है। यह लेख बताता है कि आत्म-विश्वास और संकल्प शक्ति से कैसे हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
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अमर उजाला12 अप्रैल 2023
सच्चे पथ-प्रदर्शक की तरह है गुरु
अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि भारतीय संस्कृति में गुरु का दर्जा भगवान के समान माना जाता है। गुरु हमें सही संस्कारों की राह पर चलने की शिक्षा देकर हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं। एक सच्चा गुरु पथ-प्रदर्शक की तरह होता है, जो हमारे जीवन को सही दिशा में ले जाने में मदद करता है। गुरु का महत्व इसलिए भी है क्योंकि वे हमें आत्मिक ज्ञान और जीवन के सही मूल्य सिखाते हैं, जिससे हम जीवन में सफल और संतुष्ट हो सकें।
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The PioneerApril 8, 2023
They way to assured success
Acharya Prashant emphasizes that true success lies in making the right choices rather than simply achieving goals. He highlights the importance of aligning decisions with one's core self and inner needs, asserting that victory is found in the act of choosing the right path itself, rather than in the attainment of external outcomes.
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राष्ट्रीय सहारा6 अप्रैल 2023
वर्तमान
राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने धर्म-परिवर्तन पर हो रहे विवाद पर कहा कि यह आत्मिक शांति और सच्चे धर्म की खोज में होना चाहिए, न कि आर्थिक या शारीरिक लाभ के लिए। उन्होंने समझाया कि बाहरी दिखावे या लाभ के लिए धर्म बदलना आत्मिक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
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अमर उजाला5 अप्रैल 2023
अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना सीखें
अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि आरामपरस्त जीवनशैली को त्यागकर जिम्मेदारियों का बोझ उठाना आवश्यक है। जब तक आप जिम्मेदार नहीं बनेंगे, तब तक जीवन के दौड़ में पीछे ही रह जाएंगे। उन्होंने समझाया कि आत्मनिर्भरता और जिम्मेदारी निभाने से ही व्यक्ति जीवन में सफलता और संतुष्टि पा सकता है। अपनी जिम्मेदारियों को निभाना सच्चे आत्मसम्मान और आत्मविकास का मार्ग है।
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राष्ट्रीय सहारा30 मार्च 2023
जन्म और मृत्यु: आचार्य प्रशांत
राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया पर विचार करते हुए बताया कि ये प्रकृति के खेल हैं, जिसमें कोई बदलाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि आत्मा की सही खोज प्रकृति में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान में है। बाहरी दुनिया में सत्य की खोज करने से व्यक्ति निराशा पाता है, जबकि आत्मज्ञान से ही सच्चे सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
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दैनिक जागरण30 मार्च 2023
राम निराकार भी साकार भी
दैनिक जागरण के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने रामनवमी के अवसर पर राम के निराकार और साकार दोनों रूपों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मन को स्थिर करने के लिए एक आदर्श की आवश्यकता होती है, और राम इस आदर्श के प्रतीक हैं। राम का साकार रूप हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जबकि उनका निराकार रूप अनंतता का प्रतीक है। प्रत्येक युग में राम का स्वरूप बदलता है, लेकिन उनका महत्व और शिक्षाएं सदैव स्थिर रहती हैं।
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अमर उजाला29 मार्च 2023
मनुष्य मशीन भर नहीं
अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि जीवन में सफल होने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है, लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए मशीन की तरह काम करना नहीं, बल्कि रचनात्मक सोच को अपनाना जरूरी है। उन्होंने समझाया कि मनुष्य केवल भौतिक कार्यों का निष्पादन करने वाला यंत्र नहीं है, बल्कि उसमें आत्मिक और रचनात्मक क्षमताएं भी हैं। सही दृष्टिकोण और रचनात्मकता से ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।