ज़रा इन बिंदुओं पर नज़र डालिए:
आपको क्या लगता है? यह सब किसने किया? पृथ्वी को इतना बीमार किसने कर दिया?
क्या यह सब जंगल में रह रहे जंगली जानवरों ने किया है? नहीं, यह बस्तियों में रह रहे इंसानों की देन है। यह कोई प्राकृतिक आपदा (Natural disaster) नहीं, बल्कि एक मानवजनित (Man-made disaster) है। जलवायु परिवर्तन आज हमारे सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा है। इसके परिणामस्वरूप हमें अनियमित मौसम, चक्रवाती तूफान, समुद्र के बढ़ते जलस्तर, और विलुप्त होती प्रजातियों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरल भाषा में कहें तो पृथ्वी बीमार है, तप रही है, और इसे यह बीमारी हमने दी है।
मगर 2015 का पेरिस समझौता, क्या वह मदद कर सकता है?
विश्व की सरकारों द्वारा 2015 में पेरिस समझौता किया गया था, जिसमें तय था कि 2030 तक हम 45% CO2 emission कम कर देंगे, लेकिन 10 साल बीत गए और चीज़ें जस की तस बनी हुई हैं।
आम आदमी इन तथ्यों से अवगत हो सके, इसलिए आचार्य प्रशांत ने जलवायु परिवर्तन पर खुलकर बातचीत की है क्योंकि न मीडिया और न ही लोकतंत्र इस मुद्दे की गंभीरता को अभी समझ पा रहे हैं।
इस वीडियो सीरीज़ के ज़रिए हम आपको यह बताना चाहते हैं कि:
आशा करते हैं कि आप इस पूरे मुद्दे को ध्यान से समझेंगे और दूसरों को भी इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराएंगे। आप जैसे-जैसे इस सीरीज़ में आगे बढ़ेंगे, हम आपके सामने इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत करेंगे।
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