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काम से राम तक
ऋषि भर्तृहरि की रचनाओं पर आधारित
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Paperback
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Book Details
Language
hindi
Print Length
200
Description
आज जिन्हें हम मुनि भर्तृहरि के नाम से जानते हैं वो एक समय पर उज्जैन के राजा भर्तृहरि के नाम से प्रसिद्ध थे। युवा अवस्था में वह एक विलक्षण राजनीतिज्ञ थे लेकिन उन दिनों उनकी कामुकता भी प्रबल थी, वह अपनी पत्नी व अन्य स्त्रियों के मोह से ग्रस्त थे। फिर एक दिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उनकी दुनिया ही पलट गई, स्त्री मोह को भूल वह गुरु गोरखनाथ के सबसे विद्वान शिष्य के रूप में निखर कर आए। उनकी रचनाओं को पढ़ेंगे तो पाएँगे कि वह शुरूआती दिनों से ही एक बेहतरीन कवि थे। श्रृंगार शतकम्, नीति शतकम् और वैराग्य शतकम् उनकी प्रमुख रचनाओं में गिने जाते हैं। राजा भर्तृहरि से मुनि भर्तृहरि बनने तक की यात्रा और उनकी रचनाओं में छिपी सीख को समझें आचार्य प्रशांत के साथ। इस पुस्तक में आचार्य प्रशांत हमारे दैनिक जीवन से जुड़े प्रश्नों को लेकर मुनि भर्तृहरि द्वारा दिखाए मार्ग को और भी सरल व उपयोगी बना देते हैं।
Index
1. क्या हमारी उपलब्धियाँ ही हमारे अहंकार का कारण हैं? 2. आकर्षण का मूल कारण 3. सुंदर जीवन जियो, तुम्हारी कामुकता भी सुंदर हो जाएगी 4. वासना का समाधान जिज्ञासा में नहीं अवलोकन में है 5. पहले अपना अंतस सुधारें कि आचरण? 6. सीधी बात सीधे आदमी के लिए ही होती है
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