जात देखकर प्यार करेंगे || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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जात देखकर प्यार करेंगे || नीम लड्डू

ये सब भी पिक्चरों में होता है कि वहाँ जाकर पूछा जाता है कि, “*टी और कॉफी? योर प्लेस ऑर माय प्लेस?*” (चाय या कॉफ़ी? तुम्हारे घर या मेरे घर?)

हिंदुस्तान में तो ऐसे पूछते हैं, “जात बताएगी?” फिर जैसे ही जात मिली...

”गोत्र बता, गोत्र?”

और फिर मैचिंग-मैंचिंग हो गया तो लगे दोनों उछलने, अचानक से प्रेम बदबदाके फूट पड़ा।

औए मैचिंग-मैचिंग नहीं हुआ तो…

और ये प्रेम विवाह में होती हैं चीज़ें।अधिकांश प्रेम विवाह भी जात, कुल, गोत्र देखकर ही होते हैं।

मुझे बहुत ताज्जुब हो, कैम्पस में बहुत सारे जोड़े बनते थे। मैं देखता था ये जोड़े बन ही ऐसे रहे हैं कि इनमें कुल-गोत्र वाली कोई समस्या ही नहीं आने वाली, ये तो पहले से ही मैचिंग-मैचिंग है।

फिर मैंने एक को पकड़ा। मैंने पूछा कैसे-कैसे किया? उसने बताया पहले से ही सब चेक किया न। जब उधर सारे बॉक्स टिक हो रहे थे, सब मैचिंग-मैचिंग था तो मैंने कहा ये लड़की सेक्सी है।

पहले उधर मैचिंग-मैचिंग किया जाता है और तुम बोल रहे हो तुम्हें प्रेम है एक दूसरे से?

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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