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What is this world? || Acharya Prashant, on Brihadaranyaka Upanishad (2017)
Author Acharya Prashant
Acharya Prashant
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ब्रह्मब्रह्म तं परादाद्योऽन्यत्रात्मनो ब्रह्म वेद क्षत्रं तं परादाद्योऽन्यत्रात्मनः क्षत्रं वेद लोकास्तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो लोकान्वेद देवास्तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो देवान्वेद भूतानि तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो भूतानि वेद सर्वं तं परादाद्योऽन्यत्रात्मनः सर्वं वेदेदं ब्रह्मेदं क्षत्रमिमे लोका इमे देवा इमानि भूतानीद सर्वं यदयमात्मा॥

~ बृहदारण्यक उपनिषद (श्लोक ०६)

Context:

  • What these Verses mean?
  • What is this world?
  • How to know this world?
  • What is Upanishad?
  • What to learn from Upanishad?
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